पति की हत्या की आरोपी मां को बेटी की अभिरक्षा देने से इलाहाबाद हाई कोर्ट का इनकार, कही यह बात...

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चे की अभिरक्षा सौंपते समय हमेशा बच्चे का हित देखा जाएगा। कोर्ट ने पति की हत्या में आरोपित याची पत्नी को दो साल की बेटी की अभिरक्षा सौंपने से इनकार कर दिया है। बच्ची अपने बाबा के साथ रह रही है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 07:32 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 07:32 PM (IST)
पति की हत्या की आरोपी मां को बेटी की अभिरक्षा देने से इलाहाबाद हाई कोर्ट का इनकार, कही यह बात...
पति की हत्या की आरोपित मां को बेटी की अभिरक्षा देने से इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चे की अभिरक्षा सौंपते समय हमेशा बच्चे का हित देखा जाएगा। कोर्ट ने पति की हत्या में आरोपित याची पत्नी को दो साल की बेटी की अभिरक्षा सौंपने से इनकार कर दिया है। बच्ची अपने बाबा के साथ रह रही है। मां के खिलाफ आपराधिक केस चल रहा है। हाई कोर्ट ने कहा कि यदि याची बरी होती है तो वह सक्षम अदालत में बेटी की अभिरक्षा की अर्जी दे सकती है। कोर्ट उस पर नियमानुसार आदेश देगी। 

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने मुंबई की ज्ञानमती कुशवाहा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची का कहना था कि उसने कृष्ण कुशवाहा से प्रेम विवाह किया था। लेकिन, उससे परिवार नाखुश था। उसे 28 मई, 2017 को बेटी दृशा पैदा हुई। सभी मुंबई में रहते थे। याची के पति 11 मई 2018 अपने पैतृक निवास झांसी आए, फिर 13 मई को मामा कमल कुशवाहा का फोन आया कि कृष्ण कुशवाहा की मौत हो गई है। जब वह झांसी आई तो सभी उसे पुलिस स्टेशन ले गए। जहां पुलिस ने पति की हत्या के आरोप में उसे गिरफ्तार कर लिया।

ज्ञानमती कुशवाहा 11 सितंबर, 2018 को जमानत पर छूटी। इसके बाद अपनी बेटी की अभिरक्षा मांगी। पुलिस को भी इसकी सूचना दी। जब उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो यह याचिका दाखिल किया। कोर्ट ने अपराध में लिप्तता पर बच्चे के हित को देखते हुए राहत देने से इनकार कर दिया है।

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