इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश, मुस्लिम विवाह कानून में दर्ज केस की निष्पक्ष विवेचना हो
हाई कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक शाहजहांपुर को मिर्जापुर थाने में दर्ज प्राथमिकी की निगरानी करने का निर्देश देते हुए थाना प्रभारी मिर्जापुर को दो माह में साक्ष्यों के आधार पर विवेचना पूरी करने का आदेश दिया है। 20जून 2020 को मारपीट गाली-गलौज व दहेज उत्पीडऩ का केस लिख गया था
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण कानून 2018 के तहत दर्ज एफआइआर की उचित और निष्पक्ष विवेचना दो माह में पूरी करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने नगमा की याचिका को निस्तारित करते हुए यह निर्देश दिया है।
शाहजहांपुर का है मामला
हाई कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक शाहजहांपुर को मिर्जापुर थाने में दर्ज प्राथमिकी की निगरानी करने का निर्देश देते हुए थाना प्रभारी मिर्जापुर को दो माह में साक्ष्यों के आधार पर विवेचना पूरी करने का आदेश दिया है। याची का कहना था कि उसने 20जून 2020 को मारपीट और गाली-गलौज व दहेज उत्पीडऩ का केस दर्ज कराया है किंतु पुलिस ने अभी तक कुछ भी नहीं किया है।