Allahabad High Court: रिश्वत लेने के आरोपी सीओ की गिरफ्तारी पर रोक, CBI से जवाब तलब

हाईकोर्ट ने की सीबीआइ की गाजियाबाद विशेष अदालत को निर्देश दिया है कि यदि याची अदालत में हाजिर हो तो उससे बांड भरा लिया जाए कि वह मुकदमे के विचारण में सहयोग करेगा तथा सुनवाई के दौरान स्वयं अथवा अधिवक्ता के माध्यम से हमेशा उपस्थित होगा।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 12:07 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 01:21 AM (IST)
Allahabad High Court: रिश्वत लेने के आरोपी सीओ की गिरफ्तारी पर रोक, CBI से जवाब तलब
भूमि अधिग्रहण घोटाले की जांच कर रहे डिप्टी एसपी निशंक शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यमुना एक्सप्रेस वे विकास प्राधिकरण की भूमि अधिग्रहण घोटाले की जांच कर रहे डिप्टी एसपी निशंक शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। शर्मा पर भूमि घोटाले के आरोपियों को बचाने के लिए रिश्वत लेने का आरोप है। हाईकोर्ट ने की सीबीआइ की गाजियाबाद विशेष अदालत को निर्देश दिया है कि यदि याची अदालत में हाजिर हो तो उससे बांड भरा लिया जाए कि वह मुकदमे के विचारण में सहयोग करेगा तथा सुनवाई के दौरान स्वयं अथवा अधिवक्ता के माध्यम से हमेशा उपस्थित होगा।

जारी किया गया था गैर जमानती वारंट

सीबीआइ की चार्जशीट पर अदालत ने याची के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर तलब किया था। याचिका दाखिल कर आरोप पत्र रद्द करने और गिरफ्तारी के विरुद्ध संरक्षण दिए जाने की मांग की गई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित सिंह ने निशंक शर्मा की याचिका पर दिया है। याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची एक पुलिस अधिकारी है जो यमुना एक्सप्रेस वे भूमि घोटाले की जांच कर रहा था। उसने आरोपियों के खिलाफ 82/ 83 की कार्रवाई शुरू की और उनको गिरफ्तार भी किया। फर्जी सेल डीड व रकम भी बरामद की। याची के खिलाफ रिश्वत लेने का कोई मामला नहीं बनता है ।

जांच में नाम नहीं फिर चार्जशीट में बनाया आरोपित

वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था सीबीआइ के दो दरोगा बीएस राठौर और सुनील दत्त तथा तहसीलदार रणवीर सिंह के बीच सांठगांठ चल रही थी। इसके तहत दोनों दरोगा रणवीर सिंह को पुलिस जांच से बचाने के लिए रिश्वत मांग रहे थे। जानकारी होने पर सीबीआइ ने छापा मारकर बीएस राठौर और रणवीर सिंह को पैसे का लेनदेन करते रंगे हाथ पकड़ा था। जबकि सुनील दत्त को मौके से फरार बताया गया। घोटाले की जांच उस समय याची निशंक शर्मा के पास थी। सीबीआइ की जांच में कहीं भी उनका नाम नहीं आया और सिर्फ कहा गया है कि किसी अज्ञात अधिकारी को रिश्वत देने का प्रोग्राम था। इसके बावजूद सीबीआइ ने चार्जशीट में याची को रिश्वत लेने का आरोपी बना दिया जबकि उसके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है। सीबीआइ के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश का कहना था कि याची ने रिश्वत ली है या नहीं इसका जवाब देने के लिए उनको तीन सप्ताह का समय दिया जाए। कोर्ट में समय देते हुए सीबीआइ से इस मामले में जवाब मांगा है। साथ ही सीबीआइ कोर्ट गाजियाबाद को आदेश दिया है कि अगर डिप्टी शर्मा अदालत में हाजिर हो तो उससे बांड भरा लिया जाए कि वह मुकदमे के विचारण में सहयोग करेगा तथा सुनवाई के दौरान खुद या अपने अधिवक्ता के माध्यम से हमेशा उपस्थित होगा।

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