Allahabad High Court: पीएचडी प्रवेश धांधली मामले में BHU के प्रोफेसरों और स्टाफ को नोटिस
BHU के पीएचडी में याची से कम अंक वाले लोगों को भी प्रवेश दिया गया लेकिन उसे दाखिले से वंचित कर दिया गया। याची की शिकायत पर कुलपति ने चार सदस्यीय समिति गठित की। जांच रिपोर्ट में याची की शिकायत की पुष्टि की गई है।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के पीएचडी कोर्स में प्रवेश में धांधली को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार व विपक्षियों से जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने विपक्षी प्रोफेसर योगेन्द्र सिंह, प्रोफेसर राघवेन्द्र पांथरी, प्रोफेसर लक्ष्मी शंकर उपाध्याय, लिपिक मोतीलाल वर्मा, पूर्व लिपिक राजपति राम, लिपिक शशिकांत सिंह व लिपिक पुरूषोत्तम मिश्र को नोटिस जारी किया है। इन लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग में दाखिल अर्जी को सीजेएम वाराणसी द्वारा निरस्त करने की वैधता को चुनौती दी गई है। सीजेएम ने यह कहते हुए अर्जी खारिज कर दी थी कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत राज्य सरकार से इसकी अनुमति नहीं ली गई है। इसलिए कोर्ट एफआइआर दर्ज करने का निर्देश जारी नहीं कर सकती।
जांच में सही मिली थी धांधली की शिकायत
सीजेएम वाराणसी के आदेश के खिलाफ अर्दली बाजार के निवासी सुधांशु कुमार सिंह की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर यह आदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने दिया है। याची का कहना है कि 2007-08 में एमफिल करने के बाद बिहार में कैमूर जनपद के मूल निवासी याची ने 2008-09 में पीएचडी कोर्स के लिए आवेदन किया। कमेटी ने 81 लोगों को प्रवेश योग्य पाया लेकिन 132 लोगों को प्रवेश दिया गया। याची से कम अंक वाले लोगों को भी प्रवेश दिया गया लेकिन उसे दाखिले से वंचित कर दिया गया। याची की शिकायत पर कुलपति ने चार सदस्यीय समिति गठित की। जांच रिपोर्ट में याची की शिकायत की पुष्टि की गई है।
कमेटी गठित, एफआइआर का आदेश लेकिन दबी रही फाइल
इसके बाद कुलपति ने जवाबदेही तय करने के लिए कमेटी गठित की लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया तो याची ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। तब राजभवन से उचित कार्रवाई का निर्देश दिया गया। इस पर कुलपति ने पूर्व जिला जज इंद्र बहादुर सिंह व प्रोफेसर लोकनाथ सिंह की कमेटी गठित की। 25 दिसंबर 2018 की रिपोर्ट में प्रोफेसर व स्टाफ के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की संस्तुति की गई। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो याची ने धारा 156 (3) के तहत सीजेएम वाराणसी की अदालत में अर्जी दी। अर्जी को खारिज करने पर उसे इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।