Allahabad High Court: बार-बार समय लेकर जवाब नहीं देने पर पुलिस भर्ती बोर्ड पर 10 हजार रुपये हर्जाना

हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो कोर्ट डीआइजी स्थापना पुलिस मुख्यालय प्रयागराज को तलब करेगी। हाई कोर्ट ने कहा है कि हर्जाना राशि लापरवाही के जिम्मेदार अधिकारियों से वसूल कर हाईकोर्ट विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा किया जाय

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 07:02 PM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 09:59 AM (IST)
Allahabad High Court: बार-बार समय लेकर जवाब नहीं देने पर पुलिस भर्ती बोर्ड पर 10 हजार रुपये हर्जाना
हर्जाना पुलिस भर्ती बोर्ड के अधिकारियों से वसूल करने का निर्देश

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार-बार समय दिए जाने के बाद भी जवाब दाखिल नहीं करने पर पुलिस भर्ती बोर्ड पर 10 हजार रुपए हर्जाना लगाया है और तीन फरवरी 2020 को जारी आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो कोर्ट डीआइजी स्थापना पुलिस मुख्यालय प्रयागराज को तलब करेगी। हाई कोर्ट ने कहा है कि हर्जाना राशि लापरवाही के जिम्मेदार अधिकारियों से वसूल कर हाईकोर्ट विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा किया जाय। याचिका की सुनवाई छह अक्टूबर को होगी।

2013 की भर्ती में सफल मगर अब तक नियुक्ति नही

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने अजय कुमार की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता प्रशांत मिश्रा ने बहस की। इनका कहना है कि याची 2013 की पुलिस भर्ती में पिछड़ा वर्ग कोटे में सफल घोषित किया गया है। उसे दस्तावेज सत्यापन व मेडिकल जांच के लिए बुलाया जाना है। उसने प्रत्यावेदन भी दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसी वजह से याचिका दायर की। कोर्ट ने भर्ती बोर्ड व राज्य सरकार को जवाब देने के लिए तीन बार समय दिया है। जब कोई जवाब नहीं आया तो कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है।

डीएम गौतमबुद्ध नगर हाई कोर्ट में तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी को चार अक्टूबर को स्पष्टीकरण के साथ हाजिर होने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने पूछा है कि रेरा अथारिटी ने ढाई साल पहले वसूली आदेश जारी किया था। उस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रिया कपही की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी यह भी बताएं कि ऐसे कितने मामले है जिनमें वसूली कार्रवाई नहीं हुई है। हाई कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी की अकर्मण्यता के कारण हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल हो रही है। जिससे अनावश्यक रूप से मुकद्दमे बढ़ रहे हैं। प्रश्नगत मामले में ढाई साल से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। याचिका की सुनवाई चार अक्टूबर को होगी।

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