इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शिक्षक भर्ती की उत्तरकुंजी को चुनौती संबंधी याचिकाएं की खारिज, कहा- बिना ठोस आधार चुनौती देना बना फैशन

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है प्रतियोगी परीक्षा की आंसर कुंजी जारी होते ही चुनौती देना फैशन बन गया है। बिना किसी ठोस आधार मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए याचिकाएं दाखिल की जाती है जिससे भर्ती प्रक्रिया विलंबित होती है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 07:24 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 07:25 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शिक्षक भर्ती की उत्तरकुंजी को चुनौती संबंधी याचिकाएं की खारिज, कहा- बिना ठोस आधार चुनौती देना बना फैशन
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2018 की सहायक अध्यापक भर्ती की उत्तरकुंजी पर आपत्तियों संबंधी सैकड़ों याचिकाओं को खारिज कर दिया।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2018 की सहायक अध्यापक भर्ती की उत्तरकुंजी पर आपत्तियों संबंधी सैकड़ों याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह अवधारणा है कि उत्तरकुंजी सही है। यदि कोई उसे गलत साबित करना चाहता है तो वह अधिकृत दस्तावेजों के साथ गलत साबित करें। कोर्ट ने कहा है प्रतियोगी परीक्षा की आंसर कुंजी जारी होते ही चुनौती देना फैशन बन गया है। बिना किसी ठोस आधार मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए याचिकाएं दाखिल की जाती है, जिससे भर्ती प्रक्रिया विलंबित होती है।

न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने रोहित शुक्ल और 110 अन्य याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि आठ मई 2020 को उत्तरकुंजी जारी की गई थी। उसे हजारों लोगों ने चुनौती दी। कुल 150 सवालों में 142 सवालों पर 20 हजार लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई। इससे जो चयन अक्टूबर 2020 और जनवरी 2021 में ही पूरा हो जाना चाहिए था वह आपत्तियों को तय करने में एक साल तक लटका रहा।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि न्यायालय विषय विशेषज्ञ नहीं हो सकती। न ही कोर्ट को सवालों के उत्तर की सत्यता की जांच करने का प्राधिकार है। विशेषज्ञ की राय अंतिम मानी जाएगी। कोर्ट तय नहीं कर सकती है कि विशेषज्ञों की राय सही है अथवा गलत। यह चुनौती देने वालों की ड्यूटी है कि यदि किसी सवाल का जवाब गलत है तो उसे साबित करें। कोर्ट के अनुसार याचीगण सवालों के उत्तर गलत साबित करने में नाकाम रहे हैं।

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