इलाहाबाद हाई कोर्ट का ​​​​​अध्यापक पति-पत्नी को एक ही जनपद में तैनात करने का निर्दश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएलओ ड्यूटी न करने वाले सहायक अध्यापक का वेतन रोकने का बीएसए फिरोजाबाद का आदेश रद कर दिया है। तथा उसे वेतन सहित सेवा में बहाल करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूॢत पंकज भाटिया ने कैलाश बाबू की याचिका पर दिया है

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 07:40 AM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 07:40 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट का ​​​​​अध्यापक पति-पत्नी को एक ही जनपद में तैनात करने का निर्दश
अंतरजनपदीय स्थानांतरण पर बेसिक शिक्षा परिषद को विचार करने का निर्देश दिया है।

विधि संवाददाता प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति पत्नी को एक ही जिले मे रखने के मामले में अंतरजनपदीय स्थानांतरण पर बेसिक शिक्षा परिषद को विचार करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने राधाकांत त्रिपाठी की याचिका पर दिया है।

एक जिले में पांच साल की सेवा में अपवाद भी है

याची सीतापुर जिले में सहायक अध्यापक नियुक्त है, जबकि उसकी पत्नी प्रयागराज में सहायक अध्यापिका है। याची ने अंतरजनपदीय तबादले हेतु आवेदन किया था। आवेदन इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि उसने सहायक अध्यापक के रूप में पांच वर्ष की अनिवार्य सेवा पूरी नहीं की है इसलिए तबादला नहीं हो सकता। याची का कहना था कि 2008 की नियमावली के नियम 8(2) (डी) के अनुसार अंतरजनपदीय स्थानांतरण के लिए एक जिले में पांच वर्ष की सेवा अनिवार्य है। इस नियम में कुछ अपवाद भी हैं। पति -पत्नी को एक ही जिले में नियुक्ति देना इसी अपवाद के तहत आता है ।

बीएलओ ड्यूटी न करने पर वेतन रोकने का आदेश रद

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएलओ ड्यूटी न करने वाले सहायक अध्यापक का वेतन रोकने का बीएसए फिरोजाबाद का आदेश रद कर दिया है। तथा उसे वेतन सहित सेवा में बहाल करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूॢत पंकज भाटिया ने कैलाश बाबू की याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था की बीएसए ने याची की बूथ लेवल आफिसर के कार्य हेतु ड्यूटी लगाई थी। ड्यूटी न करने पर 7 अगस्त 2021 को बीएसए फिरोजाबाद में याची का वेतन रोकने का आदेश जारी कर दिया। अधिवक्ता की दलील थी की बेसिक शिक्षा अधिकारी को सहायक अध्यापक का वेतन रोकने का अधिकार नहीं है। जहां तक बीएलओ ड्यूटी का प्रश्न है इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनीता शर्मा व अन्य के केस में स्पष्ट किया है कि शिक्षकों से शिक्षणेतर कार्य नहीं लिए जा सकते हैं। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी का 7 अगस्त 21 का आदेश रद कर दिया है और उसको वेतन सहित बहाल करने का निर्देश दिया।

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