इलाहाबाद हाई कोर्ट का यूपी सरकार को निर्देश- पुलिस कांस्टेबल भर्ती सर्विस रूल्स में संशोधन पर करें विचार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को यूपी पुलिस कांस्टेबल हेड कांस्टेबल भर्ती सर्विस रूल्स में संशोधन करने पर विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि एक ही भर्ती में अभ्यर्थी की लंबाई दो बार नापे जाने का औचित्य नहीं है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 19 Aug 2021 11:48 PM (IST) Updated:Fri, 20 Aug 2021 07:20 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट का यूपी सरकार को निर्देश- पुलिस कांस्टेबल भर्ती सर्विस रूल्स में संशोधन पर करें विचार
हाई कोर्ट ने सरकार को यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती सर्विस रूल्स में संशोधन पर विचार करने का निर्देश दिया है।

प्रयागराज [विधि संवाददाता]। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को यूपी पुलिस कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल भर्ती सर्विस रूल्स में संशोधन करने पर विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि एक ही भर्ती में अभ्यर्थी की लंबाई दो बार नापे जाने का औचित्य नहीं है। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने प्रदेश सरकार की अपील पर दिया है।

अमन कुमार ने कांस्टेबल भर्ती के लिए आवेदन किया था। शारीरिक दक्षता परीक्षा में उसकी लंबाई निर्धारित मानक 168 सेमी से कम पाई गई। उसने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। एकल न्यायपीठ के आदेश पर सीएमओ द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने उसकी लंबाई की जांच की तो लंबाई 168 सेमी से अधिक पाई गई। इस पर हाई कोर्ट ने उसकी नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया था। इसे प्रदेश सरकार ने विशेष अपील के जरिये चुनौती दी थी।

कोर्ट में सरकारी वकील का कहना था कि भर्ती नियमावली के अनुसार शारीरिक दक्षता परीक्षा में लंबाई मानक के अनुरूप पाए जाने के बाद ही मेडिकल कराने का प्रविधान है, जिसमें दोबारा लंबाई की जांच होती है। एकलपीठ द्वारा शारीरिक परीक्षा में अनफिट अभ्यर्थी की मेडिकल जांच कराने का आदेश देते समय इस तथ्य की अनदेखी की गई है। खंडपीठ ने कहा जब कोर्ट के आदेश से मेडिकल जांच कराई गई है तो उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार पुनर्विचार करे कि शारीरिक दक्षता और मेडिकल जांच दोनों में लंबाई नापने का क्या औचित्य है। यदि दोनों के परिणाम में अंतर आएगा तो भर्ती बोर्ड का टेस्ट स्वयं में विरोधाभासी हो जाएगा। कई राज्यों में लंबाई और सीने की नाप एक बार ही की जाती है। खंडपीठ का यह भी कहना था कि अदालतों को भी ऐसे मामलों में रूटीन तरीके से मेडिकल जांच करने का आदेश देने से बचना चाहिए।

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