इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्देश- बिजली विभाग के कर्मचारियों की फरियाद सुनकर लिया जाए निर्णय

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिजली विभाग में सहायक ग्रेड तीन पद से इस्तीफा देने वाले सात कर्मचारियों की पुन वापसी की मांग पर नियुक्ति अधिकारी को दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने अखिलेश यादव व अन्य की याचिका पर दिया है।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 07:08 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 07:08 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्देश- बिजली विभाग के कर्मचारियों की फरियाद सुनकर लिया जाए निर्णय
हाई कोर्ट ने बिजली विभाग के अधिशाषी अभियंता को विचार करने का निर्देश दिया है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिजली विभाग में सहायक ग्रेड तीन पद से इस्तीफा देने वाले सात कर्मचारियों की पुन: वापसी की मांग पर नियुक्ति अधिकारी को दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। पुलिस उपनिरीक्षक पद पर नियुक्ति के बाद बिजली विभाग के इन सात कर्मचारियों के इस्तीफा देने के बाद प्रशिक्षण पर भेजा गया था। लेकिन, हाई कोर्ट द्वारा उपनिरीक्षक पद की भर्ती पर रोक लगाने से याचियों ने बिजली विभाग के छोड़े पद में बहाली की मांग में हाई कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने याचियों की मांग के गुणदोष पर कोई विचार न व्यक्त करते हुए बिजली विभाग के अधिशाषी अभियंता को विचार करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने अखिलेश यादव व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता एमए सिद्दीकी ने बहस की। इनका कहना था कि याचीगण राज्य विद्युत सेवा चयन आयोग से चयनित होकर बिजली विभाग में सहायक ग्रेड तीन पद पर नियुक्त हुए। एक साल बाद इनका पुलिस उपनिरीक्षक पद पर चयन हो गया। प्रशिक्षण पर भेजने से पहले बिजली विभाग से इस्तीफा देना पड़ा। जब पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती अधर में लटक गई तो मूल विभाग मे वापसी की मांग की। वहीं, बिजली विभाग का कहना था कि इनका इस्तीफा स्वीकार हो चुका है, इसलिए इन्हेंं बहाल नहीं किया जा सकता। इस पर कोर्ट ने याचियों की मांग पर विचार करने का निर्देश दिया है।

बार-बार याचिका दाखिल करने पर लगा हर्जाना : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पीलीभीत के चंदरपुरा की ग्राम प्रधान के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार छीनने के खिलाफ खारिज तीन याचिकाओं के बाद तथ्य छिपाकर पुन: याचिका दाखिल करने पर नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने तीन लाख रुपये हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी है। एक माह में हर्जाना न जमा करने पर राजस्व वसूली प्रक्रिया अपनाने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूॢत राजीव जोशी ने ग्राम प्रधान नूर हसन की याचिका पर दिया है। बार-बार याचिका दाखिल करने पर कोर्ट ने याची को तलब किया। हाजिर याची ने कहा वह पांचवीं तक पढ़ी है। कानून की जानकारी नहीं है। उसे माफ किया जाय, भविष्य में ऐसी गलती नहीं करेगी। कोर्ट ने शर्तों के साथ गलती मानने को अवमानना माना और हर्जाने के साथ याचिका खारिज कर दी।

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