Allahabad High Court Bar ने देश को दिए न्याय व राजनीति जगत के सिरमौर
वरिष्ठ अधिवक्ता वशिष्ठ तिवारी के अनुसार हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के कई महासचिव भी प्रमुख पदों पर रहे हैं। वीके शुक्ल न्यायमूर्ति वीके चतुर्वेदी न्यायमूर्ति एके योग न्यायमूर्ति व आरआरके त्रिवेदी हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति बने। वहीं अशोक भूषण को सुप्रीम कोर्ट का न्यायमूर्ति बनने का गौरव प्राप्त है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रभाव व वैभव के पर्याय इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का पदाधिकारी बनने को कांटे की टक्कर है। एक-एक वोट के लिए प्रत्याशियों में मशक्कत चल रही है। रोमांच ऐसा है कि सत्ता व विपक्ष के रसूखदार नेता भी शह-मात की बिसात बिछाने में जुटे हैं। पर्दे के पीछे सबकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इसके पीछे एसोसिएशन का गौरवपूर्ण इतिहास है। कई पदाधिकारी न्याय के अलावा राजनीतिक क्षेत्र के सिरमौर बने हैं। न्यायमूर्ति के अलावा राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष, महाधिवक्ता, विधायक देने का श्रेय एसोसिएशन को है।
हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एनपी अस्थाना 1959 व 61 में एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। अस्थाना आगे चलकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने थे। 1960 में अध्यक्ष बनने वाले कन्हैया लाल मिश्र महाधिवक्ता बने। वहीं, 1974, 82 व 83 में अध्यक्ष रहे एनसी उपाध्याय ने महाधिवक्ता के रूप में न्यायिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। एसोसिएशन के 1978 में अध्यक्ष रहे राजेश्वरी प्रसाद न्यायमूर्ति बने। इनके बाद 1985 में अध्यक्ष बनने वाले एडी गिरि सुप्रीम कोर्ट में सालिसिटर जनरल भारत सरकार बनाए गए। देश के चर्चित अधिवक्ता विनय चंद्र मिश्र 1979, 89, 90, 92, 98, 99, 2002-03, 2008-09 में एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। विनय चंद्र बार काउंसिल आफ इंडिया के तीन बार अध्यक्ष रहने के साथ महाधिवक्ता भी बने थे। देश व प्रदेश की राजनीति की चर्चित हस्ती केशरीनाथ त्रिपाठी भी एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं। केशरीनाथ 1987 में एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए। वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्रदेव पांडेय बताते हैं कि केशरीनाथ त्रिपाठी पांच बार विधायक रहे। 1977 में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। फिर 1991, 1996 व 2002 में विधानसभा अध्यक्ष बने। मायावती से भाजपा का गठबंधन खत्म होने के बाद मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने तो केशरीनाथ उनके कार्यकाल में भी विधानसभा अध्यक्ष रहे। भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष रहने के साथ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं। मौजूदा समय भी वकालत व राजनीति में सक्रिय हैं। वहीं, 1991 में अध्यक्ष बनने वाले मुरलीधर न्यायमूर्ति बने, जबकि 1995 में अध्यक्ष बनने वाले आरसी श्रीवास्तव न्यायमूर्ति व एमएलसी बने थे।
इन महासचिवों ने पायी उपलब्धि
वरिष्ठ अधिवक्ता वशिष्ठ तिवारी के अनुसार हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के कई महासचिव भी प्रमुख पदों पर रहे हैं। वीके शुक्ल न्यायमूर्ति, वीके चतुर्वेदी न्यायमूर्ति, एके योग न्यायमूर्ति व आरआरके त्रिवेदी हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति बने। वहीं, अशोक भूषण को सुप्रीम कोर्ट का न्यायमूर्ति बनने का गौरव प्राप्त है। इसी प्रकार टीपी सिंह बार काउंसिल आफ इंडिया के उपाध्यक्ष, रामशिरोमणि शुक्ल विधायक बने थे। इनके अलावा अलग-अलग पदों पर रहने वाले पदाधिकारियों ने देश-प्रदेश में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुके हैं।