इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट बार के प्रस्ताव को बताया औचित्यहीन, जताई नाराजगी

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वालों को उच्च न्यायालयों का जज बनाने के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रस्ताव को अतार्किक व औचित्यहीन बताया है। हाई कोर्ट बार के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ने चीफ जस्टिस से इसको अस्वीकार करने का अनुरोध किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 12:29 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 12:30 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट बार के प्रस्ताव को बताया औचित्यहीन, जताई नाराजगी
हाईकोर्ट बार ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की जो प्रक्रिया चली आ रही है, वह विधिसम्मत व तार्किक है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वालों को उच्च न्यायालयों का जज बनाने के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रस्ताव को अतार्किक व औचित्यहीन बताया है। हाई कोर्ट बार के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट बार का यह प्रस्ताव हाई कोर्ट की बार और बेंच का अपमान है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने देश के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट बार के इस प्रस्ताव को अस्वीकार करने का अनुरोध किया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र का कहना है कि हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की जो प्रक्रिया अनवरत चली आ रही है, वह विधिसम्मत व तार्किक है। सुप्रीम कोर्ट बार ने ऐसा प्रस्ताव प्रस्तुत कर उच्च न्यायालयों में वकालत कर सर्वोच्च न्यायालय की न्यायपीठ तक पहुंचे सम्मानित न्यायविदों को नजरंदाज किया है।

सुप्रीम कोर्ट बार यह भूल गया कि देश की न्याय व्यवस्था को गति प्रदान करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों में वकालत और न्याय पीठ के सफल दायित्व निर्वहन के बाद ही पहुंचे हैं। ऐसे में यह कहना सर्वथा गलत है कि सुप्रीम कोर्ट में विधि व्यवसाय करने वाले ही हाई कोर्ट में न्यायाधीश पद की अहर्ता रखते हैं। असलियत यह है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश उच्च न्यायालयों की वकालत की ही धरोहर हैं।

सुप्रीम कोर्ट बार ने ऐसे माननीयों को नजरअंदाज कर जो प्रस्ताव पारित किया है, वह अतिनिदंनीय है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार यह भी भूल रहा है कि उसने जो कमेटी बनाई है, उसमें शामिल सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी इलाहाबाद हाई कोर्ट की देन हैं।

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