Allahabad High Court: दुष्कर्म के नाबालिग आरोपित की जमानत मंजूर, प्रयागराज के कर्नलगंज थाने का केस
मामला प्रयागराज के कर्नलगंज थाना में दर्ज दुष्कर्म के एक मामले से संबंधित है। न्यायालय ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और विशेष जज पाक्सो एक्ट के जमानत न देने के आदेशों को रद करते हुए आरोपित को जमानत मंजूर करते हुए रिहा करने का आदेश दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के नाबालिग आरोपित की जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि यह उसका अधिकार है। उसे जमानत देने से मना करते समय उसका हित भी देखना अनिवार्य है। सामान्य स्थिति में जमानत देने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा-12 में कोई संशोधन नहीं हुआ है। न्यायालय ने कहा, यदि जमानत पर रिहा करने से नाबालिग के सामाजिक, मनोवैज्ञानिक या शारीरिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे की संभावना है या उसके फिर से आपराधिक प्रवृति के लोगों के संपर्क में आने की आशंका है तभी जमानत देने से इन्कार किया जाना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव ने दाखिल रिवीजन पर दिया है।
मामला प्रयागराज के कर्नलगंज थाना में दर्ज दुष्कर्म के एक मामले से संबंधित है। न्यायालय ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और विशेष जज पाक्सो एक्ट के जमानत न देने के आदेशों को रद करते हुए आरोपित को जमानत मंजूर करते हुए रिहा करने का आदेश दिया है। आरोपित के खिलाफ पीडि़ता ने स्वयं कर्नलगंज थाना में दुष्कर्म, छेडख़ानी, पाक्सो एक्ट और एससीएसटी एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप है कि 16 वर्षीय नाबालिग ने अपने पांच दोस्तों के साथ मिलकर उससे दुष्कर्म किया। निगरानीकर्ता के वकील का कहना था कि सिर्फ अपराध के प्रकृति की गंभीरता के आधार पर जमानत अर्जी खारिज कर दी गई। न्यायालय ने जमानत स्वीकार करते हुए कहा कि पीडि़ता ने अपने बयान में दुष्कर्म के आरोपों से इन्कार किया है। मेडिकल रिपोर्ट में कोई चोट भी नहीं मिली है। जमानत निरस्त करने की ठोस वजह नहीं थी।