Allahabad High Court: ढाई साल की बच्ची के अपहरण और कत्ल के आरोपित की जमानत अर्जी खारिज
सह अभियुक्तों को जमानत देते समय हत्या की प्रकृति पर विचार नहीं किया गया। बच्ची के शरीर पर कई चोटों के बारे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया। बहुत ही जघन्य अपराध किया गया है। ऐसे में जमानत पर रिहा करने का कोई औचित्य नहीं है।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र में ढाई साल की बच्ची का साजिशन अपहरण के बाद कत्ल के आरोपित व्यक्ति की दूसरी जमानत अर्जी खारिज कर दी है। इस मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि सह अभियुक्तों को जमानत देते समय हत्या की प्रकृति पर विचार नहीं किया गया। बच्ची के शरीर पर कई चोटें होना, पैर की हड्डी टूटना और शरीर के अंग गायब होने के बारे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया। बहुत ही जघन्य अपराध किया गया है। ऐसे में जमानत पर रिहा करने का कोई औचित्य नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने क्रूरता से कत्ल करने के आरोपित शख्स मेहंदी हसन की दूसरी जमानत अर्जी पर दिया है।
बकाया पैसे मांगने पर कत्ल की वारदात
हत्या आरोपित की अर्जी पर अधिवक्ता केडीएस चंदेल, शिकायत कर्ता के अधिवक्ता अभिषेक चौहान, एके ओझा व अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने बहस की। मालूम हो कि याची के भाई ने मृतक बच्ची के पिता से पैसे उधार लिए थे। उस रकम को वापस मांगने पर जाहिद, असलम, सुस्ता और मेहंदी हसन ने आपराधिक साजिश रची। 30 मई 2019 को बच्ची घर से लापता हो गई। फिर दो जून को उसकी लाश मिली।
पीएम रिपोर्ट से उजागर हुई बेरहमी
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या में क्रूरता का खुलासा हुआ। याची का कहना था कि सह अभियुक्त जाहिद व अन्य की जमानत मंजूर कर ली गई है। इसलिए याची को भी जमानत पर रिहा किया जाय। कोर्ट ने अपराध की जघन्यता को देखते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया।