इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा- प्रयागराज में संगम क्षेत्र की सुरक्षा इंतजाम में क्या कदम उठाए गए

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज में संगम क्षेत्र की सालभर सुरक्षा इंतजाम करने के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने मुख्य सचिव राजेंद्र प्रसाद तिवारी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। यह भी कहा यदि जारी निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो अवमानना कार्रवाई की जाएगी।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 07:17 PM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 01:31 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा- प्रयागराज में संगम क्षेत्र की सुरक्षा इंतजाम में क्या कदम उठाए गए
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज में संगम क्षेत्र के सुरक्षा इंतजाम पर दिए आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज में संगम क्षेत्र की सालभर सुरक्षा इंतजाम करने के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट तलब की है। हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र प्रसाद तिवारी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। साथ ही कहा है कि यदि जारी निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो कोर्ट उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई करेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने टीना श्रीवास्तव व अन्य द्वारा दाखिल अवमानना याचिका पर दिया है। सुनवाई अब 26 नवंबर को होगी। 

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि मुख्य सचिव ने इस संबंध में रिपोर्ट तैयार करने के लिए तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। सुनवाई दो माह के लिए स्थगित की जाए। लेकिन, कोर्ट ने इसे नहीं माना और आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है।

उल्लेखनीय है कि 19 सितंबर 2015 को प्रयागराज स्थित संगम में अस्थि विसर्जन के लिए 18 लोग नाव से गए थे, जो कि पलट गई। हादसे के दौरान दूसरे नाविकों ने 15 लोगों को बचा लिया था, लेकिन हाई कोर्ट के अधिवक्ता श्रवण कुमार श्रीवास्तव, अजय कुमार श्रीवास्तव व शंकरलाल मौर्य की डूबने से मौत हो गई थी। इसके बाद मृतक श्रवण व अजय की पत्नियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करके सुरक्षा उपायों सहित जीवन यापन के लिए मुआवजा दिलाने की मांग की। जिसके बाद कोर्ट ने मुख्य सचिव को संगम में स्नान व पूजन आदि के लिए आने वालों श्रद्धालुओं के लिए सालभर सुरक्षा का इंतजाम करने का निर्देश दिया था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुआवजे के मुद्दे पर कानून के अभाव के चलते आदेश तो नहीं दिया। लेकिन, मुख्य सचिव से याचियों की स्थिति को देखते हुए आर्थिक सहायता या नौकरी देने के संबंध में निर्णय लेने का निर्देश दिया था। उक्त आदेशों का पालन न होने पर अवमानना याचिका दाखिल की गयी है।

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