इलाहाबाद हाई कोर्ट कटौली थाना पुलिस के रवैए से नाराज, डीजीपी और एसएसपी मुजफ्फरनगर को किया तलब

कोर्ट ने कहा पिछले 23 सालों में पुलिस ने याची पर 49 आपराधिक केस दर्ज किए। अधिसंख्य में बरी हुआ कुछ में पुलिस ने गलती से शामिल होना मानते हुए वापस ले लिया। मानवाधिकार आयोग ने भी पुलिस पर याची के पक्ष में दस हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 12:51 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 12:51 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट कटौली थाना पुलिस के रवैए से नाराज, डीजीपी और एसएसपी मुजफ्फरनगर को किया तलब
इलाहाबाद हाई कोर्ट में मुजफ्फरनगर के मामले में अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गंदी मानसिकता से याची के जीवन बर्बाद करने की कार्रवाई करने वाली कटौली थाना पुलिस के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुजफ्फरनगर को 13 दिसंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह केवल जमानत का मसला नहीं है, बल्कि अनुशासित पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर उठे सवालों के जवाब का है। कोर्ट ने कहा कि हर आदमी के जीवन की कीमत समान है। बीते दिन लौट कर नहीं आते, जीवन पर लगे दाग मुआवजे से धुल नहीं सकते।

कोर्ट ने कहा पिछले 23 सालों में पुलिस ने याची पर 49 आपराधिक केस दर्ज किए। अधिसंख्य में वह बरी हो गया, कुछ में पुलिस ने गलती से शामिल होना मानते हुए वापस ले लिया। मानवाधिकार आयोग ने भी पुलिस पर याची के पक्ष में दस हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया। केस में फंसाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा, इसलिए दोनों शीर्ष अधिकारी अदालत में हाजिर हों। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह ने गौरव उर्फ गौरा की नारकोटिक्स ड्रग्स एक्ट के तहत दर्ज मामले में दाखिल जमानत अर्जी पर दिया है।

कोर्ट के निर्देश पर याची का आपराधिक केस चार्ट पेश किया गया, जिससे एक ही थाने कटौली में 49 केस दर्ज होने का राजफाश हुआ है। याची 45 मामलो में से 11 में बरी हो चुका है। नौ केस पुलिस ने वापस लिए हैं। दो में गलती से शामिल किया गया है। एक केस में एनएसए लगाया है, जो रद हो चुका है। 21 केस में जमानत पर हैं, एक में अग्रिम जमानत मिली है। याची और उसकी पत्नी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को फर्जी केस में फंसाने की शिकायत की, जिसकी जांच के बाद पुलिस पर हर्जाना लगाया गया।

कोर्ट ने कहा कि पुलिस का रवैया समझ से परे है। बार-बार केस दर्ज कर रही है। अनुशासित पुलिस बल से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कि पुलिस सुरक्षा, शांति और समाज में सौहार्द कायम रखने के लिए है। कहा आरोपों की टोकरी जीवन में अंधकार ही लाती है। जीवन बर्बाद होता है, जिसपर रोक लगनी चाहिए। सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।

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