AIIMS Demand in Prayagraj: दिल्ली और लखनऊ का रास्ता नापने से बचने के लिए जरूरी है एम्स

AIIMS Demand in Prayagraj बेहतर इलाज के लिए प्रयागराज में बुंदेलखंड के चित्रकूट बांदा महोबा हमीरपुर मध्य प्रदेश के छतरपुर रीवा सतना यूपी-एमपी के बार्डर वाले मीरजापुर और प्रयागराज मंडल के कौशांबी प्रतापगढ़ से भी मरीज आते हैं। कई लोग रेफर कराकर लखनऊ या दिल्ली भी चले जाते हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 04:07 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 04:07 PM (IST)
AIIMS Demand in Prayagraj: दिल्ली और लखनऊ का रास्ता नापने से बचने के लिए जरूरी है एम्स
अधिवक्ता और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों समेत हजारों लोग एम्‍स की मांग को हस्ताक्षर अभियान में भागीदारी कर चुके हैं।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। चिकित्सा सुविधा के नजरिए से मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज का स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में योग्य डाक्टरों, प्रोफेसर की भरमार होने के बावजूद गंभीर मरीजों को लखनऊ, दिल्ली रेफर किया जाता है। इस अस्पताल के प्रति लोगों में विश्वसनीयता की कमी भी है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी यह बात स्पष्ट हुई थी जब आर्थिक रूप से समर्थ रहने वाले कोरोना संक्रमित लोग बेहतर इलाज के लिए लखनऊ और दिल्ली के अस्पतालों में गए थे। यहां तक कि कोरोना संक्रमित कुछ डाक्टरों ने भी अपना इलाज प्रयागराज से बाहर ही कराया था। कुछ मामलों में एसआरएन के डाक्टर भी एसजीपीजीआइ लखनऊ या एम्स के लिए रेफर करने में ही मरीज की भलाई समझते हैं।

प्रयागराज में बुंदेलखंड, मध्‍य प्रदेश तक से आते हैं मरीज

बेहतर इलाज के लिए प्रयागराज में बुंदेलखंड के चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, मध्य प्रदेश के छतरपुर, रीवा, सतना, यूपी-एमपी के बार्डर वाले मीरजापुर और प्रयागराज मंडल के कौशांबी, प्रतापगढ़ से भी मरीज आते हैं। इनमें किसी को बेहतर स्वास्थ्य मिल पाता है तो कई लोग रेफर कराकर लखनऊ या दिल्ली भी चले जाते हैं। जबकि यहां के डाक्टर सीमित चिकित्सा संसाधनों के बावजूद अपनी सामर्थ्‍य के अनुसार इलाज करते हैं।

बीएचयू जाएं या फिर लखनऊ एसजीपीजीआइ

प्रयागराज से वाराणसी 130 किलोमीटर दूर है और लखनऊ का एसजीपीजीआइ 200 किलोमीटर दूरी पर। इन दोनों ही उच्च चिकित्सा संस्थानों तक जाते-जाते कई मरीजों की रास्‍ते में हालत गंभीर हो जाती है, मौत भी हो जाती है। अक्सर इन चिकित्सा संस्थानों के लिए गंभीर केस रेफर किए जाते हैं। जबकि आर्थिक रूप से कमजोर तबके के मरीज या तो इन अस्पतालों में जाने से ही खुद को लाचार समझते हैं या फिर सोर्स सिफारिश का कोई जुगाड़ न होने के चलते उन्हें बेहतर इलाज से वंचित होना पड़ता है।

इनकी मुहिम को मिला समर्थन

एम्स स्थापना की मुहिम चला रहे अधिवक्ता विजय द्विवेदी को तीन माह में ही कई विधायक, एमएलसी, सांसद, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन, शिक्षक एमएलसी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, इलाहाबाद विश्वविद्यालय संयुक्त शिक्षक संघ, एमएलसी सुरेंद्र चौधरी का समर्थन मिला। इन सभी संगठनों के अलावा कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ व अन्य शासकीय कार्यालयों के कर्मचारी संघों ने भी समर्थन देते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षामंत्री भारत सरकार को पत्र भेजा। इस मुहिम से जुड़कर अब तक अधिवक्ता और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों समेत 21000 लोग हस्ताक्षर अभियान में भागीदारी कर चुके हैं।

अन्य लोग भी कर रहे मांग

प्रयागराज में एम्स की मांग गवर्नमेंट पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन भी पूर्व मंडलायुक्त आरएस वर्मा के निर्देशन में लगातार कर रहा है तो अधिवक्ता रामचंद्र यादव भी मुहिम चलाकर सैकड़ों लोगों का समर्थन प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी और सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या से भी समर्थनयुक्त आश्वासन मिल चुका है।

संगम नगरी यहां दुनिया भर से आते हैं लोग

संगमनगरी में एम्स की स्थापना इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मांग है क्योंकि उत्तर प्रदेश में इसी पावन धरा पर त्रिवेणी तट पर कुंभ, महाकुंभ के आयोजन होते हैं जिसमें दुनिया भर से करोड़ों लोग आते हैं। हर साल यहां माघ मेला भी लगता है जिसमें कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं। इनमें तमाम श्रद्धालु बीमार हो जाते हैं तो उन्हें उच्च सुविधाओं और गुणवत्ता वाले इलाज की जरूरत पडऩे पर एयरलिफ्ट करके दिल्ली ले जाना पड़ता है। कुंभ में आने वाले तीर्थयात्री केवल कल्पवास या प्रमुख स्नान पर्वों के दौरान ही नहीं बल्कि डेढ़ से दो महीने तक भी यहां प्रवास पर रहते हैं।

यहां हैं देश की शीर्ष संस्थाएं

संगमनगरी धार्मिक लिहाज से तो देश दुनिया में प्रसिद्ध है ही, यहां देश की शीर्ष संस्थाएं जैसे इलाहाबाद हाईकोर्ट, इलाहाबाद विश्वविद्यालय भी है। इससे देश भर से लोगों का आना जाना होता है।

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