Agriculture News: गेहूं की नई प्रजाति किसानों के लिए लाभदायक, उत्पादन बढ़ेगा व आय में होगी वृद्धि
Agriculture News डाक्टर मारकर ने बताया कि गेहूं की नई किस्म की फसल 110-115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसके पौधों की ऊंचाई 95-100 सेमी है। यह किस्म समय से बोवाई एवं सिंचित अवस्था के लिए उपयुक्त है।
प्रयागराज, जेएनएन। मौसम की मार, खाद व बीज के कारण किसानों को खेती से संबंधित तमाम समस्यायों से जूझना पड़ता है। चार माह में तैयार होने वाली गेहूं की नई प्रजाति को लेकर लगातार कृषि विभाग में शोध किए जाते रहे हैं। हालांकि अब किसान भाइयों के लिए अच्छी खबर है। प्रयागराज के नैनी स्थिति सैम हिगिनबाटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय के कृषि विभाग के वैज्ञानिक डा. महाबल राम व उनके सहयोगियों ने गेहूं की नई प्रजाति विकसित की है। यह प्रजाति डब्ल्यू-14 (जीआइएम-20-9) है। शुआट्स के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गेहूं की इस प्रजाति से किसानों की फसलों का उत्पादन बढ़ेगा और उनकी आय में भी इजाफा होगा।
नैनी विभाग शोध डिपार्टमेंट के डायरेक्ट डा. शैलेष मारकर ने इस प्रजाति का प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। डा. मारकर ने बताया कि आम तौर पर किसान एक हेक्टेयर में 30 से 35 कुंतल गेहूं की उपज करता है। वहीं इस नई प्रजाति से अब वे 49 से 50 कुंतल गेहूं उगा सकते हैं।
डाक्टर मारकर ने बताया कि गेहूं की नई किस्म की फसल 110-115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसके पौधों की ऊंचाई 95-100 सेमी है। यह किस्म समय से बोवाई एवं सिंचित अवस्था के लिए उपयुक्त है। ऐसा इसलिए कि यह ब्राऊन रस्ट, लीफ ब्लाइट, लूज स्मट एवं करनल बंट के लिए अवरोधी है। साथ ही इसका दाना मुलायम एवं इसकी रोटी खाने में बहुत अच्छी है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा विकसित गेहूं को भारत सरकार को गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से अधिसूचित किया जा चुका है। इसे किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। विकसित गेहूं की नई प्रजाति को किसान पसंद भी कर रहे हैं। यह किस्में उच्च तापमान रोधी होने के साथ-साथ कम खाद, पानी में अधिक उपज देती है।
वैज्ञानिक डा. महाबल राम ने बताया कि निकट भविष्य में किसानों के लिए गेहूं की विभिन्न अवस्थाओं में उगाई जा सकने वाली किस्मों का बीज भी शीघ्र उपलब्ध होगा।