Agriculture News: धान और गेहूं की उबाऊ खेती को अलविदा, आम व अमरूद की लहलहा रहे बगिया

Agriculture News आम अमरूद आंवला और कटहल के दर्जनों वृक्ष में लगे फल को एक वर्ष के अंदर किसान ने एक लाख रुपये में बेचा। फलों के वृक्ष को लगे छह वर्ष ही हुए हैं। भविष्‍य में फलों के बाग से लाखों की आय होने की उन्‍हें उम्‍मीद है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 02:33 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 05:18 PM (IST)
Agriculture News: धान और गेहूं की उबाऊ खेती को अलविदा, आम व अमरूद की लहलहा रहे बगिया
प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर के किसान कृष्‍ण कुमार आम और अमरुद का उत्‍पादन करके आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं।

प्रयागराज, [गोपाल पांडेय]। धान और गेहूं की पारंपरिक खेती में मुनाफा नहीं हो रहा था। इसे घाटे का सौदा मानते हुए प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर क्षेत्र के एक किसान ने सरकारी सेवा में रहते हुए आम और अमरूद की लहलहाती बगिया तैयार कर दी। बगीचा के बीच खाली पड़ी जमीन में विभिन्न प्रकार की खेती से वे अब मुनाफा कमा रहे हैं। बाग के किनारों पर कीमती लकड़ी वाले लंबे-लंबे सागवान के पेड़ बगीचा में चार चांद लगा रहे हैं।

पारंपरिक खेती के साथ ही आम, अमरूद के उत्‍पादन को दिया महत्‍व

क्षेत्र के कमालापुर गांव के रहने वाले कृष्ण कुमार पांडे उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में अधिशासी अभियंता के पद पर रहते हुए खेती-बड़ी से खास दिलचस्पी रखते थे। घर के बगल चार बीघा के खेत में आलू, गेहूं, धान की खेती में मजदूरों के साथ स्वयं जुटे रहते थे। सेवानिवृत्त होने से पहले उन्‍होंने पारंपरिक काश्तकारी के साथ खेतों में आम, अमरूद और सागवान समेत अन्य सैकड़ों पौधे रोपने को तरजीह दी। प्रतापगढ़ जनपद से 31 दिसंबर 2019 को सेवानिवृत्त होने के बाद उन्‍होंने आम, अमरूद, सागवान, आंवला और कटहल की लहलहाती बगिया के बीच खाली पड़ी जमीन में हल्दी, अर्ली समेत अन्य प्रकार की सब्जियों की काश्‍तकारी शुरू कर दी।

वर्ष भर में एक लाख रुपये का बेचा फल

आम, अमरूद, आंवला और कटहल के दर्जनों वृक्ष में लगे फल को एक वर्ष के अंदर एक लाख रुपये में बेचा है। हालांकि फलों के वृक्ष को अभी छह वर्ष ही हुए हैं। आने वाले समय में फलों के बाग से लाखों की आय होने की उन्‍हें उम्‍मीद है।

मलिहाबाद से आम, प्रतापगढ़ से लाए थे आंवला के पौधे

कृष्ण कुमार पांडे के बागवानी शौक ने उन्‍हें लखनऊ के मलिहाबाद से आम के पौधे लाने को प्रेरित किया था। आंवला के पौधे प्रतापगढ़ जनपद से लाए थे। आम, अमरूद और आंवला समेत हरी-भरी बगिया के किनारों पर लंबे-लंबे सागवान एक तरफ खूबसूरती बढ़ा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर वह दिन दूर नहीं जब इनकी कीमती लकड़ियों से अच्छा खासा मुनाफा भी वे कमाएंगे।

धान की फसल से उपज बढ़ाने का अपनाते थे अनोखा तरीका

10 वर्ष पहले धान की नर्सरी लगाने के बाद जब पौधे की जड़ मजबूत हो जाती थी तो खेत में पानी भरकर उगते पौधों पर बैलों के जरिए हेंगा चला देते थे। जड़ का ऊपरी सिरा टूटने के के बाद वहीं से कुछ अन्य कोपलें फूटकर धान के पौधे का रूप ले लेती थीं। इससे एक ही पौधा में धान की बेशुमार बालियां लगने से उपज बढ़ जाती थी।

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