नैपकिन बनाने के लिए लगेगा कौशांबी में प्लांट, मिलेगा महिलाओं को रोजगार और होंगी आत्मनिर्भर

एआरएलएम के उपायुक्त बलिराम वर्मा ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की अधिक से अधिक महिलाएं स्वरोजगार से जुड़े इसलिए कौशांबी में नैपकिन (पैड) बनाने के लिए प्लांट लगाया जा रहा है। प्लांट से पैड उत्पादन शुरू होने के बाद जिले की लगभग दो हजार महिलाएं को रोजगार मिल सकेगा।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 04:00 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 12:28 PM (IST)
नैपकिन बनाने के लिए लगेगा कौशांबी में प्लांट, मिलेगा महिलाओं को रोजगार और होंगी आत्मनिर्भर
एआरएलएम फंड से पैड बनाने के लिए कौशांबी में लगाया जा रहा है प्लांट

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत समूहों का गठन कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इस संबंध में कार्ययोजना भी बनाई गई हैं। कौशांबी खंड कौशांबी में नैपकिन (पैड) बनाने के लिए प्लांट लगाया जाएगा। इसके बाद पैड बनाने व बेचने के लिए समूह की लगभग दो हजार महिलाओं को लगाया जाएगा। इस तरह से उन्हें इस प्लांट के जरिए रोजगार मिलेगा और वह आत्मनिर्भर हो सकेंगी। ऐसी कई और योजनाओं लागू करने पर विचार किया जा रहा है।

दो हजार महिलाएं को रोजगार मिल सकेगा

किशोरियों व महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना होता है। इन दौरान उन्हें नैपकिन (पैड) की जरूरत होती है। दिन प्रतिदिन नैपकिन (पैड) की मांग भी बढ़ रही है। एआरएलएम के उपायुक्त बलिराम वर्मा ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की अधिक से अधिक महिलाएं स्वरोजगार से जुड़े। इसके मद्देनजर एआरएलएम से कौशांबी में नैपकिन (पैड) बनाने के लिए प्लांट लगाया जा रहा है। प्लांट से पैड उत्पादन शुरू होने के बाद जिले की लगभग दो हजार महिलाएं को रोजगार मिल सकेगा। कुछ महिलाएं पैड बनाने के काम में लगेंगी तो कुछ बिक्री करेंगी। इससे गांव की महिलाओं को सस्ते दाम पर पैड मिलेगा। साथ ही समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थित में बदलाव भी होगा।

समूह से जुड़ चुकी हैं 28 हजार महिलाएं

गांव की महिलाओं को स्वरोजगार से जोडऩे के लिए वर्ष 2011 में सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन लागू किया है। तभी से समूहों का गठन कर उन्हें स्वरोजगार से जोडऩे का प्रयास शासन स्तर से किया जा रहा है। एआरएलएम के उपायुक्त बलिराम वर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले में अब तक 2842 समूहों का गठन किया गया है, जिसमें 28 हजार से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। 199 समूह की महिलाएं बेहतर कार्य कर हजारों रुपये प्रति माह कमा रही हैं।

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