नहीं रहे महादेवी के मुंहबोले भाई रघुवंश

By Edited By: Publish:Fri, 23 Aug 2013 07:37 PM (IST) Updated:Fri, 23 Aug 2013 07:38 PM (IST)
नहीं रहे महादेवी के मुंहबोले भाई रघुवंश

इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर रघुवंश का शुक्रवार को नई दिल्ली में निधन हो गया। डॉ. रघुवंश देश के जाने माने साहित्यकार, प्रसिद्ध आलोचक और समाजवादी लेखक डॉक्टर रघुवंश अस्सी वर्ष के थे और पिछले एक साल से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे। डॉ. रघुवंश की बेटी सुजाता इलाहबाद विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग में प्रवक्ता के पद पर तैनात हैं। डॉक्टर रघुवंश के निधन से इलाहबाद के साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। डॉ. रघुवंश महादेवी वर्मा के बेहद करीब रहे। शारीरिक रूप से अक्षम डॉ. रघुवंश को महादेवी वर्मा अपने छोटे भाई की तरह मानती थीं। डॉ. रघुवंश हिंदी के विद्वान फादर कामिल बुल्के, इलाचंद जोशी, फादर धीरानंद भट्ट, बिशप बी मुरारथा के सानिध्य में रहे और 15 से अधिक किताबें लिखीं।

प्रो. रघुवंश का जन्म 1921 के जून माह में हरदोई जिले के गोपामऊ कस्बे में हुआ था। सन 1948 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डीफिल की उपाधि हासिल की और हिंदी विभाग में अध्यापन का कार्य करने लगे। वे 1976 से 1981 तक हिंदी विभाग के अध्यक्ष रहे। डॉ. रघुवंश प्रसिद्ध साहित्यकार यासमीन सुल्ताना के गुरु रहे। यासमीन उनके संस्मरण को याद करते हुए कहती हैं कि वे अनुशासनप्रिय और अपने इरादे के पक्के थे। उनके हाथ में केवल दो अंगुलियां थीं और वे पैर से ही लेखन कार्य करते थे। पेज भर जाने के बाद उनकी पत्नी पन्ना पलट देती थीं।

यासमीन बताती हैं कि वे महादेवी वर्मा को दीदी कहते थे। डॉ. रघुवंश ने एक बार यासमीन से कहा था कि महादेवी मुझे घर से सबसे छोटे भाई की तरह प्यार करती थीं। शायद इसकी एक वजह मेरी शारीरिक अक्षमता भी थी। समाजवादी विचारधारा के पोषक डॉ. रघुवंश ने अपनी कलम से लेखन की एक नई विधा को जन्म दिया। उनकी रचनाओं में प्रमुख रूप से साहित्य का नया परिप्रेक्ष्य, नाटक कला, मानवीय संस्कृति का रचनात्मक आयाम, कबीर एक नई दृष्टि, जायसी की एक नई दृष्टि, कहानी संग्रह, उपन्यास यात्रा संस्मरण आदि का लेखन किया। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक 'मानव पुत्र ईशा' को काफी सराहा गया था। उन्होंने नई कविता आंदोलन के दौर की अत्यंत चर्चित पत्रिका क, ख, ग का भी संपादन किया। उन्हें भारत भारती सम्मान, भांकर पुरस्कार, साहित्य भूषण, लोहिया सम्मान तथा मूर्ति देवी पुरस्कार जैसे सम्मानों से नवाजा गया था।

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