सेवा कार्य से जुड़ रहे युवा, पढ़ाई के साथ कर रहे नायाब काम, जानिए क्या है मामला Aligarh news

सेवाकार्य में अब युवा भी आ रहे हैं पहले यह कार्य उम्रदराज लोगों का माना जाता था मगर अब युवा काफी रुचि के साथ काम कर रहे हैं उनका कहना है कि करियर के साथ सेवाकार्य करने में कोई हर्ज नहीं हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 10:44 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 10:44 AM (IST)
सेवा कार्य से जुड़ रहे युवा, पढ़ाई के साथ कर रहे नायाब काम, जानिए क्या है मामला Aligarh news
आज का युवा नौकरी के साथ ही समाज सेवा को भी प्राथमिकता दे रहा है।

अलीगढ़, जेएनएन। सेवाकार्य में अब युवा भी आ रहे हैं, पहले यह कार्य उम्रदराज लोगों का माना जाता था, मगर अब युवा काफी रुचि के साथ काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि करियर के साथ सेवाकार्य करने में कोई हर्ज नहीं हैं, हम कोई भी कार्य करते हुए भी सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर सकते हैं। इससे प्रतिभा का निखार होता है। से वा के क्षेत्र में अमूमन 40 वर्ष की उम्र से अधिक के लोग आते हैं। कुछ लोग नौकरी से सेवानिवृत होने के बाद सेवा के क्षेत्र में आते हैं, मगर शहर में सेवा के प्रति तमाम युवा समर्पित हैं, जो पढ़ाई और नौकरी के साथ भी सेवाकार्य में जुटे हुए हैं।

बचपन से लोगों की मदद करने की इच्‍छा

खुशियों की हेल्पलाइन संस्था की सुधांशी गुप्ता एमएकाम करने के बाद प्राइवेट जॉब कर रही हैं। बचपन से उनके मन में लोगों की मदद करने की इच्छा रहती थी। किसी गरीब को देखते ही वो भावुक हो जाती थीं। फिर घर में जो भी कुछ खाने-पीने का सामान रहता था, उसे लेकर आती थीं। दो साल पहले सुधांशी ने खुशियों की हेल्पलाइन नामक संस्था की स्थापना की। संस्था के माध्यम से उन्होंने गरीब बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया। पहले सासनीगेट क्षेत्र में एक बस्ती में उन्होंने चार-पांच बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। सुधांशी बताती हैं कि उनके लिए यह कार्य बहुत मुश्किल भरा था। क्योंकि बस्ती में बच्चों के माता-पिता पढा़ने के लिए राजी नहीं थे, उन्हें लगता था कि यदि बच्चे बढ़ने लगेंगे तो कामकाज नहीं करेंगे। काम करने से उनके पास कुछ पैसे आ जाते हैं, जिससे घर की कुछ आर्थिक मदद हो जाया करती है। इसलिए वो बच्चों को पढ़ने के लिए नहीं भेजते थे। सुधांशी बताती हैं कि करीब एक महीने तक उन्हें बच्चों के अभिभावकों को समझाने में लगा। फिर वो किसी तरह से राजी हुए। धीरे-धीरे उनकी मेहतन रंग लाने लगी। उन्होंने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार किया तो तमाम युवा जुड़ गए, जो बच्चों को अलग-अलग स्थानों पर पढ़ाने लगे। लाकडाउन से पहले उनकी संस्था 100 के करीब बच्चों को पढ़ा रही थी। वर्तमान में 20 बच्चों को पढ़ा रहे हैं। सुधांशी कहती हैं कि लगातार बस्तियों से पढ़ाने के लिए अब बुलावा आ रहा है, मगर कोरोना के चलते वो अभी पूरी तरह से इस क्षेत्र में नहीं उतर रही हैं। कुछ दिनों बाद फिर से वो शुरुआत करेंगी। उनकी टीम में युवा साथी उनका काफी सहयोग करते हैं।

लोगाें की मदद में रहते हैं आगे

न्यू राजेंद्र नगर निवासी राम सारस्वत विवेकानंद कालेज से इलेक्ट्रिक में डिप्लोमा कर रहे हैं। सेवाकार्य के प्रति वो सदैव समर्पित रहते हैं। राम सारस्वत गरीबों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं। कोरोना के समय वो गरीबों को भोजन पहुंचाने का कार्य करते थे। शहर में निकल जाया करते थे, जो लोग भूखे होते थे, उन्हें भोजन की व्यवस्था कराते थे। सामाजिक मुद्दों पर हमेशा आगे रहते हैं। पक्षियों को गर्मी के दिनों में दाना-पानी डालने, घायल पशुओं के इलाज आदि की व्यवस्था करते हैं। क्षेत्र में कभी भी किसी को समस्या आती है तो राम सारस्वत सबसे आगे निकलकर आते हैं। वो कहते हैं कि पढ़ाई के साथ भी हम सेवा कार्य कर सकते हैं। वो कहते हैं कि आगे कारोबार शुरू करने की तैयारी है, मगर सेवाकार्य को वो नहीं छोड़ेंगे।

chat bot
आपका साथी