Birthday of Shaheed Ashfaq Ullah Khan: आप आकर देखें मैं कैसे फांसी पर चढ़ता हूं, कहने वाले वीर सपूत से डरी थी अंग्रेजी हुकूमतAligarh News
ये कहते हुए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल जाते थे कि कल मुझे फांसी होनी है आप आकर देखिएगा कि मैं कैसे फांसी के फंदे पर झूलता हूं। ये जज्बा सुनकर सामने वाले का दिल भी दहल जाता था।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। देश की आजादी में देश के वीर सपूताें का जो बलिदान लगा उसका लोहा तो अंग्रेज ही नहीं पूरी दुनिया मानती है। मगर ऐसे वीर सपूतों ने अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दी थीं जो ये कहते हुए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल जाते थे कि कल मुझे फांसी होनी है आप आकर देखिएगा कि मैं कैसे फांसी के फंदे पर झूलता हूं। ये जज्बा सुनकर सामने वाले का दिल भी दहल जाता था। दिल भी ऐसा दहलता था कि उनकी फांसी देखने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाते थे लोग। मगर वो वीर सपूत हंसते हुए फांसी के फंदे पर झूल जाते थे।
ऐसे थे शहीद अशफाक उल्ला खान
वीर सपूतों की फेहरिस्त में ऐसी ही हस्ती थीं शहीद अशफाक उल्ला खान। शहीद अशफाक उल्ला खान का जन्मदिन शुक्रवार को मनाया जाता है। सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक विद्यार्णव शर्मा ने उनको नमन किया। उन्होंने वीर सपूत के जीवन से जुड़े कुछ संस्मरण भी बताए। बताया कि शहीद अशफाक रामप्रसाद बिस्मिल से बहुत प्रभावित थे। उनके क्रांतिकारी दल में शामिल होना चाहते थे। बिस्मिल के संपर्क में आते ही उनके अंदर का वतनपरस्त खुलकर सामने आ गया। उन्होंने स्कूल में बंकिमचंद्र का लिखा आनंद मठ पढ़ा। शहीद खुदीराम बोस और कन्हाई लाल दत्त की जीवनी भी पढ़ी। जिन्हें अलीपुर षड़यंत्र केस में बहुत कम उम्र में फांसी दे दी गई थी। वे राम प्रसाद बिस्मिल को बड़ा भाई मानते थे। अंग्रेज सरकार की नजरों में बिस्मिल के लेफ्टिनेंट के रुप में पहचाने जाने लगे थे। क्रांतिकारी संगठन के लिए धन की आवश्यकता होने पर वे असहमत होते हुए भी काकोरी ट्रेन केस में शामिल हुए क्योंकि निर्णय क्रांतिकारी दल के नेता राम प्रसाद बिस्मिल का था। जिसमें तर्क की कोई गुंजाइश न थी। वे कहते थे कि बिस्मिल हमारे नेता हैं हम उनके बराबर नहीं हो सकते।
मैं कैसे फांसी पर चढ़ता हूं, आकर देखें
अशफाक उल्ला अक्सर गुनगुनाते थे जिंदगी बादे फना तुझको मिलेगी हसरत, तेरा जीना तेरे मरने की बदौलत होगा। काकोरी ट्रेन डकैती में जब उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई तो वे मुस्कुराकर ये कहते हुए बाहर निकले के इससे कम सजा मेरे लिए बायसे तौहीन होती। 18 दिसंबर को जब उनके वकील कृपा शंकर जब उनसे मिलने फैजाबाद जेल गए और पूछा क्या तुम्हारी कोई ऐसी ख्वाहिश है जिसे हम पूरा कर सकें? तब अशफाक ने कहा मुझे कल फांसी होगी मैं चाहता हूं आप आकर देखें कि मैं कैसे फांसी पर चढ़ता हूं। तब उनके वकील कृपाशंकर हजेला ने कहा मुझमें इतनी हिम्मत नहीं है, हां तुम्हारी मजार पर फूल चढ़ाने जरूर आऊंगा।