Women Become support of losing lives : इनके साहस को सलाम...कर रही हैं नायाब काम Aligarh News
कोरोना की दूसरी लहर ने तो अपनों को अपनों से दूर कर दिया। रिश्ते-नातों की कड़ी भी कमजोर होती जा रही है। क्योंकि इस बार कोरोना को लेकर लोगों के अंदर दशहत ही कुछ इस कदर है। शहर की इन महिलाओं को हर कोई सलाम कर रहा है।
अलीगढ़,राजनारायण सिंह। कोरोना की दूसरी लहर ने तो अपनों को अपनों से दूर कर दिया। रिश्ते-नातों की कड़ी भी कमजोर होती जा रही है। क्योंकि इस बार कोरोना को लेकर लोगों के अंदर दशहत ही कुछ इस कदर है। ऐसे हालात में शहर की इन महिलाओं को हर कोई सलाम कर रहा है। जिन्होंने साहस के साथ कदम बढ़ाया और कोरोना संक्रमित मरीजों के घरों में भोजन पहुंचवा रही हैं। इस दौरान कई ऐसे परिवार मिले जहां सभी सदस्य संक्रमित हैं। एक गिलास पानी देने वाला भी कोई नहीं हैं। उनके घरों पर जब तय समय पर भाेजन पहुंचता है तो हारती जिंदगी में एक उम्मीद की किरण खिल जाती है। आशीर्वाद की बारिश कर देते हैं।
नाते-रिश्तेदारों ने भी दूरियां बनाईं
बापूधाम कालोनी निवासी समाजसेवी पूजा सोमानी इनरव्हील क्लब आफ अलीगढ़ मंजरी में चार्टट प्रेसीडेंट हैं। पूजा बताती हैं कि एक दिन टीवी चैनल पर उन्होंने देखा कि कई ऐसे शहर हैं, जहां कोरोना संक्रमितों को एक गिलास पानी देने वाला कोई नहीं है। संक्रमण के डर से पड़ोसी मदद नहीं कर रहे हैं। नाते-रिश्तेदारों ने भी दूरियां बना ली हैं। पूजा ने सोचा कि ऐसी स्थिति तो अपने शहर में भी हो सकती है। पूजा ने टीम की लता गुप्ता, सुनीता वाष्र्णेय, कविता मदान से स्थिति के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हम लोग पैसे कलेक्शन करके अपने शहर में संक्रमित परिवारों को भोजन भिजवाते हैं। इसपर टीम की सदस्य राजी हो गईं।
शहर को तीन क्षेत्रों में बांटा
टीम ने शहर को तीन क्षेत्रों में बांटा, जिससे सभी तक ताजा और समय से भोजन पहुंच सके। प्रतिभा कालोनी में निधि भारद्वाज, श्याम नगर में अनीता शर्मा और स्वर्णजयंती नगर में भाेजन की व्यवस्था कराई। पूजा सोमानी बताती हैं कि भाेजन में पौष्टिकता का विशेष ध्यान दिया जाता है। इसलिए हल्दी, लौंग, कालीमिर्च, दालचीनी, बड़ी इलाइची आदि का प्रयोग किया जाता है।
फोन पर सक्रिय रहती है टीम
टीम दो समय भोजन देती है। दोपहर के भोजन के लिए सुबह 10 बजे तक फोन करना होता है और शाम के भोजन के लिए दोपहर 1 से दो बजे के बीच में भोजन करना होता है। यदि मरीज को कुछ अलग खाने का मन करता है तो उसी प्रकार से भोजन तैयार कराया जाता है।
साथ मिलने से बढ़ती है ताकत
कई ऐसे परिवार हैं, जहां पांच-छह सदस्य हैं, वो सभी संक्रमित हैं। पड़ोसी देखने तक नहीं जाते हैं। नाते-रिश्तेदार सुधि नहीं ले रहे हैं। ऐसे लोगाें तक ताजा भोजन पहुंचता है तो वो ढेरों दुआएं देते हैं।
पूजा सोमानी, चार्टट प्रेसीडेंट
अब तो शहर के किसी भी कोने में कोई व्यक्ति है, उसके यहां भोजन पहुंचाने की पूरी कोशिश की जाती है। साथ ही टीम परिवार का आत्मबल भी बढ़ाती है। कई परिवार में लोग स्वस्थ्य भी हो गए।
सुनीता वाष्र्णेय, प्रेसीडेंट
अब पता चल रहा है कि लोग कितने मुसीबत हैं। यदि हम लोगों के रहते किसी को भोजन न मिले तो इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं हो सकता। इसलिए टीम ने भोजन बांटने का कदम उठाया।
कविता मदान, सेक्रेट्री
फोन आते ही सक्रिय हो जाते हैं कि अमूक व्यक्ति के घर भोजन पहुंचाना है। अब तक 500 लोगों तक टीम भोजन पहुंचा चुकी है। ऐसी आपदा में जो बन पड़ रहा है, वो कर रहे हैं, बस इसी से सुकून मिलता है।
लता गुप्ता, वाइस प्रेसीडेंट