जमीन फर्जीवाड़े में सरकारी कर्मचारियों की जिम्मेदारी क्यों नहीं होती तय Aligarh News

जमीन फर्जीवाड़ों में है। पिछले एक साल में जिले में करीब एक दर्जन से अधिक जमीनों के फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश हो चुका है। इसमें प्रशासन संबंधित आवंटियों के खिलाफ तो कार्रवाई हो जाती है लेकिन संबंधित अधिकारियों को यू हीं छोड़ दिया जाता है।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 08:57 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 08:57 AM (IST)
जमीन फर्जीवाड़े में सरकारी कर्मचारियों की जिम्मेदारी क्यों नहीं होती तय Aligarh News
एक दर्जन से अधिक जमीनों के फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश हो चुका है।

अलीगढ़, जेएनएन।  आप भी कमाल के हैं साहिब। आदेशों से जिले में नियम लागू कराते हैं और अपनी व्यवस्थाओं में इन नियमों को  न देख चुप रह जाते हो। ऐसा ही इन दिनों कुछ हो रहा है जमीन फर्जीवाड़ों में है। पिछले एक साल में जिले में करीब एक दर्जन से अधिक जमीनों के फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश हो चुका है। इसमें प्रशासन संबंधित आवंटियों के खिलाफ तो कार्रवाई हो जाती है, लेकिन संबंधित अधिकारियों को यू हीं छोड़ दिया जाता है। तहसील कर्मियों पर अफसर कार्रवाई के नाम पर महज खाना पूर्ति होती है। जांच के नाम पर फाइलों में कैद कर दिया जाता है। 

पिछले दिनों डीएम ने अकराबाद क्षेत्र में करीब 700 बीघा जमीन में फर्जीवाड़ा पकड़ा था। तत्काल इन सभी के पट्टे निरस्त कर दिए गए। इसके अलावा 50 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया, लेकिन तहसील स्तर से गलत आवंटन करने वाले कर्मचारी व अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं है। डीएम के आदेश के बाद भी जांच के नाम पर फाइल दब गई। इसी तरह दूसरा बड़ा मामला पिछले दिनों टप्पल में खुला। यहां भी 500 से अधिक बीघा भूमि का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया, लेकिन महज आवंटियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कने की तैयारी हो रही है। तहसील के कर्मचारी यहां भी बच गए हैं। 

 कसेरू में भी यही हाल 

गभाना के कसेरू में भी पिछले दिनों 600 बीघा जमीन के फर्जी आवंटन का भंडाफोड़ हुआ। यह पूरा खेल तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ था, लेकिन प्रशासन की तरफ से महज 44 आवंटियों के खिलाफ मुकदमा कराया गया। न तो आदेश करने वाले तत्कालीन अफसरों पर कार्रवाई हुई और न ही कर्मचारियों पर है। 

 अनगिनत हैं छोटे मामले

यह तो जिले के प्रमुख तीन मामले हैं, अगर सरकारी रिकार्ड पर नजर डालें तो जिले में अनगिनत ऐसे मामले हैं, जिनमें फर्जीवाड़ा सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से होता है, लेकिन कार्रवाई महज उस जिम्मेदार व्यक्ति पर ही होती है।

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