छीना-झपटी के बीच कांग्रेस के पूर्व सांसद व पूर्व विधायक का क्यों फूंका पुतला ?, जानिए क्या है मामला

मुठभेड़ को लेकर पुलिस के खिलाफ कर रहे बयानबाजी पर कुछ युवाओं ने कांग्रेस के पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह, पूर्व विधायक व बसपा नेता जमीर उल्लाह का पुतला फूंका।

By Edited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 09:15 AM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 09:41 AM (IST)
छीना-झपटी के बीच कांग्रेस के पूर्व सांसद व पूर्व विधायक का क्यों फूंका पुतला ?, जानिए क्या है मामला
छीना-झपटी के बीच कांग्रेस के पूर्व सांसद व पूर्व विधायक का क्यों फूंका पुतला ?, जानिए क्या है मामला

अलीगढ़ (जेएनएन)। मुठभेड़ को लेकर पुलिस के खिलाफ कर रहे बयानबाजी पर कुछ युवाओं ने कांग्रेस के पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह, पूर्व विधायक व बसपा नेता जमीर उल्लाह का पुतला फूंका। प्रदर्शनकारियों की की पुलिस से झड़प भी हुई। अधजला पुतला छीन लिया। इस प्रदर्शन का आह्वïान युवाओं ने सोशल मीडिया पर किया था। शाम को दर्शन नगर निवासी घनश्याम चौहान के नेतृत्व में युवा घंटाघर पर जुटे।

पूर्व सांसद का किया विरोध
यहां से सेंटर पहुंचकर पुतला फूंकने का प्रयास किया। घनश्याम चौहान ने पुलिस की हिमायत लेते हुए कहा कि मुठभेड़ को बिजेंद्र व जमीर फर्जी करार देने पर तुले हुए हैं। चौहान ने सिविल लाइंस थाने में दी तहरीर में बिजेंद्र व जमीर पर लोगों को भड़काने व अपराधियों की मदद की साजिश रचने का आरोप लगाया है।

यह है मामला
कांग्रेस के पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह ने पुलिस के आला अफसरों से कहा कि वे उन्हें कोरी घुड़की न दें। वे आज भी अपने कहे पर अडिग हैं, जिसमें पुलिस के एनकाउंटर में मारे गए नौशाद व मुस्तकीम कुख्यात नहीं थे। यह फर्जी एनकाउंटर है, जिसे उनकी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने कहा है। पूर्व सांसद ने सुझाव दिया है कि एसएसपी अपनी जगह सही हैं तो सीबीआइ जांच की सिफारिश करें।

दम है तो नोटिस भेजें एसएसपी
34 साल से कर रहे हैं राजनीति
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि वे 34 साल से राजनीति कर रहे हैं। कई बार विधायक व सांसद भी चुने गए हैं। कभी जाति धर्म की राजनीति नहीं की। जब सफेदपुरा में साधु व उनके परिजनों की हत्या हुई थी, उसी दिन वह गमजदा परिजनों से मिले थे।

पुलिस से पूछे सवाल
पूर्व सांसद ने पुलिस अफसरों से सवाल के साथ दस्तावेज मांगे हैं, जिनमें पुलिस की गोली के शिकार हुए युवकों पर संगीन धाराओं में मुकदमों की साल का उल्लेख किया गया है। कहा, किस तारीख को वारदातों को अंजाम दिया गया, मुकदमा किस तारीख को लिखा गया। एक साल में ये बदमाश कुख्यात थे, तब कपड़े की दुकान पर काम के दौरान पुलिस ने क्यों गिरफ्तार नहीं किया? एटा के मुफ्ती हत्याकांड के पैरोकारों के बयानों पर भी पूर्व सांसद ने आपत्ति दर्ज की।

धमकाया तो करूंगा हड़ताल
चेतावनी दी है कि अफसरों ने धमकाया तो जनता से आह्वान कर कलक्ट्रेट पर ही बेमियादी हड़ताल पर बैठ जाएंगे। रहा सवाल थाने में 161 व कोर्ट में 164 के बयान का, वे जनप्रतिनिधि हैं। राष्ट्रीय पार्टी का नेतृत्व करते हैं कोई फरियादी नहीं। कुछ कहना ही होगा तो मानवाधिकार आयोग में कहेंगे।

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