अलीगढ़ शहर में आने वाले कौन हैं ये लोग,पुलिस प्रशासन को नहीं है जानकारी

एक बार फिर रोहिंग्या को लेकर चर्चाएं तेज होने लगी हैं। जिले में 300 के करीब रोहिंग्या की संख्या बताई जाती है। मगर चर्चा है कि शहर के कई बाहरी क्षेत्रों में इन्हें धीरे-धीरे बसाया जा रहा है। शहर में कुछ जगहों पर महिलाएं-पुरुष और बच्चे दिखाई दे जाते हैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 08:32 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 08:32 AM (IST)
अलीगढ़ शहर में आने वाले कौन हैं ये लोग,पुलिस प्रशासन को नहीं है जानकारी
जिले में 300 के करीब रोहिंग्या की संख्या बताई जाती है।

अलीगढ़, जेएनएन। एक बार फिर रोहिंग्या को लेकर चर्चाएं तेज होने लगी हैं। जिले में 300 के करीब रोहिंग्या की संख्या बताई जाती है। मगर, चर्चा है कि शहर के कई बाहरी क्षेत्रों में इन्हें धीरे-धीरे बसाया जा रहा है। शहर में कुछ जगहों पर महिलाएं-पुरुष और बच्चे दिखाई दे जाते हैं। उनका नाम-पता कुछ नहीं होता है। कहां से आए हैं, उसकी भी तलाश नहीं होती है? जबतक मामला उठने पर ही चर्चाएं तेज होती हैं।

यह है मामला

जम्मू-कश्मीर में रोशनी एक्ट के तहत जिस प्रकार से रोहिंग्या को बसाया गया, उसे देश के तमाम शहरों में खलबली है। चर्चाएं तेज हैं कि ये रोहिंग्या देश में कहां-कहां छिपे हुए हैं। अलीगढ़ में भी जबतब आवाज उठनी शुरू हो जाती है। इसके बाद प्रशासन पर दवाब बनना शुरू हो जाता है कि इनके सही ठिकाने पता किए जाए। प्रशासन जिले में कुल 300 रोहिंग्या के होने का दावा करता है। इनके नाम-पते और ठिकाने सब पता हैं। किन स्थानों पर रहते हैं यह पुलिस-प्रशासन को जानकारी है। मगर, शहर के तमाम इलाकों में आकर महिलाएं-पुरुष और बच्चे रहने लगते हैं, उनपर सवाल उठता है। सामाजिक संस्था आहुति के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने इस मुद्​दे को कई बार उठाया है। उनका कहना है कि भुजपुरा, मकदूम नगर में रात में सड़कों के किनारे लोग सोए रहते हैं, आखिर ये लोग कहां से आते हैं, इनके बारे में पता होना चाहिए। एकाएक आकर ये लोग कैसे रह रहे हैं। अशोक ने कहा कि यह सिर्फ फुटपाथ पर सोने तक ही नहीं है, बल्कि इनकी सुरक्षा का भी सवाल है। जिस प्रकार से यह सोते हैं रात में किसी भी वाहन की चपेट में ये आ सकते हैं। पुलिस-प्रशासन को चाहिए कि इनके बारे में सही-सही पता करे। कैसे शहर में ये एकाएक बढ़ जाते हैं इसके बारे में जानकारी की जाए।

बाहरी लाेगों के प्रमुख स्थान

शहर में बाहर से आने वाले लोगों का कुछ प्रमुख स्थान है, वो चुपचाप आ जाते हैं और रहना शुरू कर देते हैं। भाजपा के पूर्व प्रवक्ता डा. निशित शर्मा ने बताया कि अनूपशहर रोड पर पीडब्ल्यूडी कार्यालय से आगे, लाल डिग्गी, शमशाद मार्केट के निकट, नगला पटवावरी, भुजपुरा, क्वार्सी बाईपास आदि स्थानों पर बाहर से आने वाली महिलाएं-पुरुष और बच्चे देखे जा सकते हैं। वह पहले आकर फुटपाथ पर रहते हैं, फिर धीरे-धीरे भीख मांगने की शुरुआत करते हैं। कबाड़ आदि बीनने लगते हैं, इसके बाद वो यहां स्थायी रुप से रहने लगते हैं।

कोई नहीं होती है पूछताछ

डा. निशित ने कहा कि ये देश के अन्य जिलों के नागरिक भी हो सकते हैं? मगर, इनके बारे में पता तो होना चाहिए? यदि किसी प्रदेश से भी आ रहे हैं तो क्यों आ रहे हैं यह जानकारी होनी चाहिए? कहीं इनके साथ अत्याचार तो नहीं हो रहा है इस बारे में भी पता करना चाहिए, मगर शहर की सड़कों में ये लोग आकर बसेरा बसा लेते हैं पर कोई इनसे पूछताछ नहीं की जाती है। मानव तस्करी का भी अंदेशा जताया। इसलिए शहर में फुटपाथ आदि पर आकर अचानक रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

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