जो हम मुख से नहीं बोल पाते वह चित्र आसानी से बयां कर देते हैं, जानिए पूरा मामला Aligarh news

कभी-कभार जो बातें हम मुख से नहीं बोल पाते वह चित्र आसानी से बयां कर देते है। यह बातें मंगलायतन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केवीएसएम कृष्णा ने मंविवि के दृश्य एवं कला विभाग द्वारा आयोजित चित्रकला प्रदर्शनी में कहीं। जिसका विषय सृष्टिर आनंद था।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 02:13 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 02:13 PM (IST)
जो हम मुख से नहीं बोल पाते वह चित्र आसानी से बयां कर देते हैं, जानिए पूरा मामला Aligarh news
प्रदर्शनी का उद्घाटन कुलपति प्रो. केवीएसएम कृष्णा ने फीता काटकर किया।

अलीगढ़, जेएनएन । कभी-कभार जो बातें हम मुख से नहीं बोल पाते वह चित्र आसानी से बयां कर देते है। यह बातें मंगलायतन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केवीएसएम कृष्णा ने मंविवि के दृश्य एवं कला विभाग द्वारा आयोजित चित्रकला प्रदर्शनी में कहीं। जिसका विषय "सृष्टिर आनंद" था।


शैली वर्ली कला पर बनी चित्रों की प्रदर्शनी लगायी गयी

मंगलायतन विवि के दृश्य एवं कला विभाग के गोमती कला कुंज में मेवाड़ विवि की एमएफए की छात्रा मधुमिता घोष द्वारा लोक कला की एक शैली वर्ली कला (महाराष्ट्र में इसे वर्ली कला के नाम से जाना जाता है) पर बनाई गई चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई। जिसमें श्री राम के वनवास से लेकर लंका विजय तक की पौराणिक कथा को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया। इसके साथ ही लैंडस्केप कम्पोजीशन पेंटिंग की प्रदर्शनी भी लगाई गई। मधुमिता ने बताया कि 17 वीं सदी में इस कला को वर्ली कला के नाम से जाना जाता था। यह कला हमारी संस्कृति और कलाओं को प्रदर्शित करती है। भारत में महिलाएं त्योहारों पर इस कला का ही प्रदर्शन करती हैं। पौराणिक कहानियों को प्रदर्शित करने की शैली ही वर्ली कला कहलाती है।

कुलपति प्रो. केवीएसएम कृष्णा ने प्रदर्शनी का किया उद़घाटन

प्रदर्शनी का उद्घाटन कुलपति प्रो. केवीएसएम कृष्णा ने फीता काटकर किया। परीक्षा नियंत्रक डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य के जीवन में चित्रों और रंगों का विशेष महत्व होता है। दृश्य एवं कला विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. पूनम रानी ने कहा कि गोमती कला कुंज आर्ट गैलरी में लगातार इस प्रकार का आयोजन किया जाता है। चित्रकारी को बढ़ावा देने के लिए यह एक अच्छा स्थान है। यहां बाहरी कलाकार भी चित्रों की प्रदर्शनी लगाते है। आयोजन में डॉ. आरके घोष, बिलास फाल्के, दीक्षा यादव, उदय सिंह का सहयोग रहा। प्रदर्शनी में मानविकी संकाय के डीन प्रो. जयंती लाल जैन, डायरेक्टर अकादमिक और अनुसंधान प्रो. उल्लास गुरुदास, प्रो. आरके शर्मा, प्रो. असगर अली अंसारी, डॉ. अनुराग शाक्य, डॉ. अंकुर कुमार अग्रवाल, डॉ. अशोक उपाध्याय, डॉ. दीपशिखा सक्सेना, डॉ. सैयद दानिश, डॉ. राजेश उपाध्याय, मनीषा उपाध्याय, डॉ संतोष कुमार गौतम, अमित उपाध्याय, रैना सिंह आदि मौजूद थे।

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