अलीगढ़ में ये कैसा ड्रामा, पंजीकरण कराए बिना ही खुल गए ट्रामा सेंटर

ये अफसोसजनक ही नहीं व्यवस्था के मुंह पर करारा तमाचा है। जिन ट्रामा सेंटरों के भरोसे मरीजों की जिंदगी दांव पर लगी है उनमें से कोई सेंटर पंजीकृत नहीं है। न मानक ही पूरे कर रहा है। फिर ये ट्रामा सेंटर कैसे संचालित हैं?

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 07:42 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 07:42 AM (IST)
अलीगढ़ में ये कैसा ड्रामा, पंजीकरण कराए बिना ही खुल गए ट्रामा सेंटर
विभाग की टीम ने अब तक किसी ट्रामा सेंटर की जांच-पड़ताल नहीं की।

 अलीगढ़, जेएनएन। ये अफसोसजनक ही नहीं, व्यवस्था के मुंह पर करारा तमाचा है। जिन ट्रामा सेंटरों के भरोसे मरीजों की जिंदगी दांव पर लगी है, उनमें से कोई सेंटर पंजीकृत नहीं है। न मानक ही पूरे कर रहा है। फिर ये ट्रामा सेंटर कैसे संचालित हैं? मौत से जूझ रहे मरीजों की जिंदगी से क्यों खिलवाड़ होने दिया जा रहा है? स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर इतनी फुर्सत नहीं कि इन सेंटरों में झांक ही आएं। हैरत की बात हैं? कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अब तक किसी ट्रामा सेंटर की जांच-पड़ताल नहीं की। अगर की हाेती तो ये सेंटर कुकरमुत्तों की तरह खड़े न हो रहे होते। जनपद में ऐसे तकरीबन 100 हास्पिटल हैं, जिनमें ट्रामा सेंटर चल रहे हैं। कई सेंटर तो माफिया चला रहे हैं। ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। यहां न योग्य स्टाफ है, न ही जरूरी उपकरण। मरीजों को यहां एंबुलेंस से ढोकर लाया जाता है। बचेंगे या नहीं, कोई गारंटी नहीं होती। जागरण की टीम ने छानबीन की तो पता चला कि हास्पिटल, नर्सिंग होम के पंजीकरण पर ही ये ट्रामा सेंटर संचालित हैं। ट्रामा सेंटर का अपना कोई पंजीकरण नहीं है। जाहिर हैं? कि विभागीय सांठगांठ के बिना ये संभव नहीं हो सकता। अब जरूरी हो गया हैं? कि ऐसे सेंटरों पर लगाम कसी जाए। ये जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की है।

जनपद में 550 हास्पिटल

जनपद में 550 हास्पिटल पंजीकृत है। ट्रामा सेंटर को स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में ही नहीं है। लेकिन, जब सरकारी अस्पतालों से मरीजाें को रेफर करने या उचित उपचार की सलाह दी जाती है तो तीमारदारों को ट्रामा सेंटर का ही रास्ता दिखाया जाता है। एेसे करीब 100 अस्पताल हैं, जहां ट्रामा सेंटर लिखा हुआ है। बड़े-बड़े होर्डिंग, पोस्टरों से प्रचार-प्रसार भी हो रहा है।

शहर से लेकर देहात ट्रामा सेंटर का ड्रामा

हास्पिटल में संचालित ज्यादातर ट्रामा सेंटर शहर ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी संचालित हैं। यहां कोई टीम जांच करने नहीं जाती। ट्रामा सेंटर में खूब मनमानी होती है। एटा बाईपास, खैर रोड, सारसौल, गभाना, अतरौली, खैर, क्वार्सी, जीटी रोड, रामघाट रोड समेत कई क्षेत्रों में ये ट्रामा सेंटर संचालित है। ट्रामा सेंटरों में एंबुलेंस से मरीज लाए जाते हैं। एंबुलेंस चालकों को ट्रामा सेंटर संचालक पांच से सात हजार रुपये देते हैं। ऐसा संभव नहीं की इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं है, बिल्कुल है। तब इसको लेकर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इस सवाल का जबाव विभागीय अधिकारियों को देना ही हाेगा, जो फर्जी ट्रामा सेंटरों की तरफ से अभी तक आंख बंद किए हुए हैं।

ट्रामा सेंटर के ये हैं मानक

ट्रामा सेंटर के संचालन के लिए कड़े मानक निर्धारित हैं। इन मानकों को पूरा किए बिना ट्रामा सेंटर पंजीकृत नहीं किए जा सकते। यही वजह है कि ट्रामा सेंटर का पंजीकरण नहीं कराया जाता। क्योंकि, कोई हास्पिटल इन मानकों पर खरा नहीं उतर रहा। हास्पिटल में ट्रामा सेंटर संचालित करने के लिए सिविल सर्जन, एनेस्थेटिक्स, ऑर्थोपेडिक सर्जन, न्यूरो सर्जन के अलावा दूसरे स्पेशलिस्ट, ओटी टेक्नीशियन व वेंटीलेटर टेक्नीशियन व अन्य ट्रेंड सहयोगी स्टाफ होना जरूरी है। इसके अलावा एक्स-रे, थ्रीडी अल्ट्रासाउंड मशीन, सीटी स्कैन, ओटी सीलिंग लाइट, पैरामानीटर, एनेस्थीसिया मशीन, वेंटीलेटर, ट्रांसपोर्ट वेंटीलेटर, एबीजी मशीन, डेफिब्रिलेटर मानीटर, पावर ड्रिल, स्पलिंट, ट्रैक्शन आदि की उपकरणों को अनिवार्य किया गया है। मरीजों को भर्ती करने के लिए पांच से 10 बेड की रिकवरी यूनिट भी होनी चाहिए। मरीजों को तत्काल रेफर करने के लिए जरूरी उपकरणों से सुसज्जित एंबुलेंस भी अनिवार्य है। इनमें से 50 फीसद भी मानक ट्रामा सेंटर पूरे नहीं कर रहे हैं।

जनपद में किसी ट्रामा सेंटर का पंजीकरण नहीं है, केवल हास्पिटल, नर्सिंग होम व क्लीनिक के नाम से पंजीकरण किए गए हैं। जो हास्पिटल संचालक ट्रामा सेंटर चला रहे हैं, वे गलत कर रहे हैं। इसकी जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

- डा. अनुपम भास्कर, नोडल अधिकारी (हास्पिटल पंजीकरण) व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी।

ईमेल से भेजिए शिकायत

कथित ट्रामा व क्रिटिकल केयर सेंटरों में व्याप्त अव्यवस्था व लूट के शिकार आप भी हुए हो सकते हैं। यदि आपके साथ पूर्व में इन सेंटरों पर कोई अप्रिय घटना हुई हो या बुरा अनुभव रहा हो तो हमें ईमेल से जानकारी भेजें। हम आपकी आवाज अफसरों तक पहुंचाएंगे।

ईमेल-aligarh@ali.jagran.com

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