हमें फिर लौटना होगा पुरानी संस्कृति की ओर, तभी बनेंगे महान Aligarh news
जयपुर से प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा कि हम हिंदी बोलने में शर्म करते हैं जबकि हमारी जड़ हिंदी है हमारा वजूद हिंदी से है मगर आज तेजी से बदलाव आया है। हमें अपने पुराने संस्कारों की ओर लाैटना होगा तभी हिंदी को बचा पाएंगे।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। इनरव्हील मंडल 311 के नेतृत्व में इनरव्हील क्लब अलीगढ़ पहल ने हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया। मुख्य अतिथि जयपुर से प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा कि हम हिंदी बोलने में शर्म करते हैं, जबकि हमारी जड़ हिंदी है, हमारा वजूद हिंदी से है, मगर आज तेजी से बदलाव आया है। हमें अपने पुराने संस्कारों की ओर लाैटना होगा तभी हिंदी को बचा पाएंगे।
हिंदी राष्ट्र गौरव है
मंडलीय अधिकारी नवीन मोहिनी निगम ने कहा कि हिंदी राष्ट्र गौरव है। तमाम फिल्मों के गीत आज भी दिल को छू जाते हैं। देशभक्ति के गीत तन-बदन को झकझोर कर रख देते हैं। मैं दावा करता हूं दुनिया के किसी भी देश में इतने सुंदर गीत नहीं होंगे, जितने भारतीय फिल्मों में, लोकगीतों में होते हैं। क्लब की अध्यक्ष पूनम वाष्र्णेय ने अतिथियों का स्वागत किया। मंडलीय अध्यक्ष डा. दिव्या लहरी ने हिंदी प्रयोग करने का आग्रह किया। कहा कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए। दुनिया आगे बढ़ रही है, वह अपनी भाषा के बलबूते पर और हम अपनी मातृभाषा का प्रयोग करने में शर्म महसूस कर रहे हैं। डा. दिव्या ने कहा कि अब समय आ गया है, जब हम अपनी मातृभाषा और मान बिंदुओं पर गर्व करें। मंडलीय उपाध्यक्ष रेनू अग्रवाल ने कहा कि विदेशी अपनी भाषा बोलने और कहने में कभी हिचकिचाते नहीं हैं, फिर हमें भी अपनी मातृभाषा बोलने में झिझक नहीं होनी चाहिए।
दादा दादी की कहानियां बच्चों को प्रेरित करती थीं
संध्या गुप्ता ने कहा कि दादी-नानी की ढेरों कहानियां हिंदी में हुआ करती थीं जो बच्चाें को प्रेरित करतीं थीं। संस्कार भी से भी जोड़ती थीं। सचिव नीलू सिंह ने कहा कि समाज के लोगों को हिंदी के बारे में गहनता से सोचना होगा। कोषाध्यक्ष सुरूचि सक्सेना ने कहा कि हम बदलेंगे तो जग बदलेगा, हमें स्वयं से शुरुआत करनी होगी। मनीषा वाजपेई ने भी हिंदी को अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए कहा। पत्रिका की संपादक ज्योति मित्तल ने कहा कि हम यदि हिंदी को ऐसे छोड़ते जाएंगे तो हमारी संस्कृति समाप्त हो जाएगी। हमारे शादी-ब्याह में आज भी हिंदी और लोक भाषा में तमाम गीत हैं, जो हमें अपनों से करीब लाते हैं। गीतों में रिश्तों का पता चलता है, उनकी मिठास कानों में आज भी घोलते हैं। हिंदी फिल्मों में लोकगीतों पर आधारित गीत आज भी सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है, वो भारत की सुंदरता के बारे में तो बताते ही हैं हमें अपनत्व का भी एहसास कराते हैं। इसलिए हमें हिंदी पर गर्व करना चाहिए।