Water wastage in Aligarh: शहर के अधिकांश वाहन धुलाई केंद्र पर नहीं लगा री-साईकलिंग प्लांट
केंद्र व राज्य सरकार पानी बचाने के लिए पूरी शक्ति के साथ जुटी हुई है। बरसात का जल संचय के लिए प्रशासन का जोर है। मगर महानगर के अधिकांश वाहन धुलाई केंद्र (सर्विस सेंटर) भू -जल का दोहन कर रहे हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। केंद्र व राज्य सरकार पानी बचाने के लिए पूरी शक्ति के साथ जुटी हुई है। बरसात का जल संचय के लिए प्रशासन का जोर है। मगर महानगर के अधिकांश वाहन धुलाई केंद्र (सर्विस सेंटर) भू -जल का दोहन कर रहे हैं। इनके यहां न तो बरसात का जल संचय के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे हुए हैं। अगर कंपनियों के वर्कशाप को छोड़ दिया जाए तो किसी सर्विस सेंटर पर वाटर री- साइकलिंग प्लांट नहीं लगा हुआ है। जहां भी यह प्लांट लगा हुआ है, उस पर यह दो से तीन लाख लीटर रोज पानी बचा सकते हैं।
आधुनिक प्लांट पर पांच से छह लाख रुपया खर्च
महानगर में जगह जगह सड़क किनारे सर्विस सेंटर तो लगे हुए हैं। यहां दोपहिया व चार पहिया वाहनों की धुलाई की जाती है। महानगर के बीचों बीच वाले सर्विस सेंटरों पर कंप्रेसर की गूज तो सुनाई दी जा सकती है, मगर पानी के बचाने के संसाधन नहीं दिखते। जानकारों की माने तो एक सर्विस सेंटर पर वहानों की धुलाई में 50 हजार से एक लाख लीटर तक पानी खर्च होता है। जहां सर्विस सेंटर होते हैं, उस क्षेत्र का भू-जल तेजी से घटता है। अगर वाटर री- साइकलिंग प्लांट लगा दिया जाए, तो पानी की बचत की जा सकती है। एक बार प्रयोग किया गया पानी री साइकलिंग कर दो से तीन पर प्रयोग किया जा सकता है। आधुनिक प्लांट पर पांच से छह लाख रुपया खर्च किए जाते हैं।
शुद्ध पानी के लिए भारी संकट
महानगर में भू जल का हो रहा दोहन रोकने के लिए न तो नगर निगम ध्यान दे रहा है, ना ही जिला प्रशासन। सामाजिक कार्यकर्ता सूरज श्रीवास्तव का कहना है कि आगरा, फिरोजाबाद सहित तमाम महानगरों में शुद्ध पानी के लिए भारी संकट है। यमुना तट के किनारे वाले शहरों में भू जल खारा है। हमारा सौभाग्य है, कि गंगा किनारा निकट होने के चलते अलीगढ़ की गभाना, कोल व अतरौली तहसील के साथ महानगर में पानी मीठा है। इस जल को बचाने के लिए हमें लोगों को जागरुक करना होगा।