Water Conservation : अलीगढ़ में सबमर्सिबल की बाेरिंग से सहेजा वर्षा जल, ये अपनाई तकनीक

भूजल स्तर तेजी से नीचे सिसकता जा रहा है। हालात ये हो गए हैं कि हैंडपंप सबमर्सिबल के लिए कराई गई बाेरिंग डेढ़-दो साल बाद फेल हो जा रही है। लोग और गहरी बोरिंग कराते हैं अौर पुरानी बोरिंग मिट्टी डालकर पाट दी जाती है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 07:52 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 07:52 AM (IST)
Water Conservation :  अलीगढ़ में सबमर्सिबल की बाेरिंग से सहेजा वर्षा जल, ये अपनाई तकनीक
भूजल स्तर तेजी से नीचे सिसकता जा रहा है।

अलीगढ़, जेएनएन। भूजल स्तर तेजी से नीचे सिसकता जा रहा है। हालात ये हो गए हैं कि हैंडपंप, सबमर्सिबल के लिए कराई गई बाेरिंग डेढ़-दो साल बाद फेल हो जा रही है। लोग और गहरी बोरिंग कराते हैं अौर पुरानी बोरिंग मिट्टी डालकर पाट दी जाती है। लेकिन, शहर की कुछ जागरुक महिलाओं ने पुरानी बोरिंग के सहारे भूगर्भ को वर्षा जल से भरने की अनोखी पहल शुरू की है। बोरिंग को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़कर ये महिलाएं वर्षा ऋतु में बारिश के पानी को भूगर्भ तक पहुंचाती हैं। इनके घरों में वर्षा जल नालियों में नहीं बहता।

ऐसे किया पुरानी बोरिंग का इस्‍तेमाल

प्रोफेसर कालोनी, ज्ञान सरोवर निवासी दीपक सक्सेना के घर लगे सबमर्सिबल ने चार साल पहले पानी देना छोड़ दिया था। तब 100 फुट पर सबमर्सिबल लगा हुआ था। दीपक बताते हैं कि उन्होंने 200 फुट की दूसरी बाेरिंग करा ली। पुरानी को ढक दिया। 2019 में दैनिक जागरण द्वारा जल संरक्षण को लेकर चले अभियान में पुरानी बोरिंग का उपयोग करने का समाचार पढ़ा था। तब उनकी पत्नी कविता सक्सेना ने बोरिंग का उपयोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के रूप में करने का निर्णय लिया। बोरिंग के आसपास चार फुट गहरा टैंक बनवाया, जिसकी लंबाई-चौड़ाई भी चार-चार फुट थी। इसी टैंक से छत से निकल रहीं पाइप जोड़कर फिल्टर लगवाया। वर्षा ऋतु में बारिश का पानी सीधा भूमि के अंदर जाता है। कविता कहती हैं, वर्षा जल को भूगर्भ में जाता देख अलग ही अनुभूति होती है। ​ऐसे ही अभिनव प्रयास मैरिस रोड स्थित भारती नगर निवासी सारिका वाष्र्णेय ने किए। वे बताती हैं कि 100 फुट पर लगे सबमर्सिबल ने तीन साल पहले पानी देना बंद कर दिया। तब 250 फुट की बोरिंग कराकर सबमर्सिबल लगवाया। पुरानी बोरिंग का उपयोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के रूप में कर रहे हैं। अब उनके घर से बारिश के पानी नालियों में नहीं बहता, सीधा भूगर्भ में जाता है। इसके लिए लोगों को भी जागरुक किया जा रहा है। कई लोग वर्षा जल के संचय के लिए ये सिस्टम लगवा रहे हैं।

इमारतों में हाें इंतजाम

शहर में धड़ाधड़ अपार्टमेंट व शापिंग कांप्लेक्स तो बने, लेकिन वर्षा जल संचय के कोई इंतजाम इन इमारतों में नहीं कराए गए। 80 फीसद इमारतों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है। जबकि, अपार्टमेंट के नक्शा के लिए आवेदन में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की बाध्यता है। लोगों की नासमझी और सरकारी महकमों की लापरवाही भी गिरते भूजल का एक कारण है।

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