जल संरक्षण : बूंद-बूंद जल बचा रही आधी आबादी Aligarh News

चपन से ही सुनते आए हैं कि जल ही जीवन है। जल बिना जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती। यही जिंदगी रोज नालियों में बहकर दम तोड़ रही है। घरों में लगे आरओ सिस्टम जितना पानी शुद्ध करते हैं उससे तीन गुना पानी व्यर्थ बहा देते हैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 07:18 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 07:18 AM (IST)
जल संरक्षण : बूंद-बूंद जल बचा  रही आधी आबादी Aligarh News
जल बिना जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती।

अलीगढ़, लोकेश शर्मा ।  बचपन से ही सुनते आए हैं कि जल ही जीवन है। जल बिना जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती। यही जिंदगी रोज नालियों में बहकर दम तोड़ रही है। घरों में लगे आरओ सिस्टम जितना पानी शुद्ध करते हैं, उससे तीन गुना पानी व्यर्थ बहा देते हैं। शहर में लाखों लीटर पानी रोज यूं ही बर्बाद हो जाता है। इस जल को बचाने की कवायद में शहर की बीस महिलाएं भी जुटी हुई हैं। एक -दूसरेे से परिचित इन महिलाओं ने तीन साल पहले जल संरक्षण के लिए प्रयास का निर्णय लिया था। तय किया था कि शुरूआत अपने ही घर से करेंगे। इसके बाद से ही आरओ के पानी को एकित्रत कर सफाई व पौधों और कूलर में उपयोग कर हर रोज करीब दो सौ लीटर पानी की बचत कर रही हैं। साथ ही  अपनी परिचित अन्य महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित कर रही हैं। इनकी राह पर अब तक करीब पचास महिलाएं चल पड़ी हैं।  

इस मुहिम से जुड़ी मैरिस रोड स्थित प्रगति विहार की डा. अनीता वाष्र्णेय  कहती हैं कि हर घर में ऐसे ही प्रयास किए जाएं तो रोज लाखों लीटर पानी बचा सकते हैं। शिवाजीपुरम की रिचा वाष्र्णेय और  निरंजनपुरी की डा. अवंजला वाष्र्णेय ने रेन वाटर हार्वेस्‍टिंग सिस्टम लगा रखा है। अवंजला का कहना है कि  अब समय आ गया है कि लोग जल की कीमत समझें। जल संचय से न सिर्फ भूगर्भ जल का संकट दूर होगा और लाखों लोगों की प्यास भी बुझेगी। तालाब, पोखर व झील पानी से लबालब होंगे। पशु-पक्षियों को भी स्वच्छ पानी मिलेगा। 

15 लाख लीटर पानी रोज बर्बाद

एक आरओ रोज करीब 10 लीटर पानी शुद्ध करता है, इसके लिए 30 लीटर पानी बर्बाद होता है। शहर में अगर 50 हजार घरों में आरओ लगे हैं तो 15 लाख लीटर पानी रोज बर्बाद हो रहा है। इतने बड़े स्तर पर पानी की बर्बादी भूजल स्तर पर असर डाल रही है। 

शहर में पेयजल संकट

शहर की आबादी 13 लाख तक पहुंच चुकी हैं। मांग के मुताबिक सरकारी नलकूपों से पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। प्रतिदिन 225 एमएलडी पानी की डिमांड है, नलकूप 100 एमएलडी ही आपूर्ति कर रहे हैं। 80 एमएलडी पानी हैंडपंप व सबमर्सिबल से मिलता है। ये स्थिति भूजल के अत्यधिक दोहन और बेवजह जल की बर्बादी से हुई है।

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