अलीगढ़ में संसाधनों की कमी के बीच कोविड वार्ड में वीआइपी मरीजों ने बढ़ाई टेंशन Aligarh news

बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच दीनदयाल अस्पताल में भी काफी वीआइपी मरीजों व खास लोगों के करीबियों को भी भर्ती किया जा रहा है। ऐसे मरीजों को अलग वार्ड में रखा गया है। अस्पताल में डाक्टर स्टाफ व अन्य संसाधनों का खासा अभाव है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 10:05 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 10:05 AM (IST)
अलीगढ़ में संसाधनों की कमी के बीच कोविड वार्ड में वीआइपी मरीजों ने बढ़ाई टेंशन Aligarh news
दीनदयाल अस्पताल में भी काफी वीआइपी मरीजों व खास लोगों के करीबियों को भी भर्ती किया जा रहा है।

अलीगढ़, जेएनएन । बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच दीनदयाल अस्पताल में भी काफी वीआइपी मरीजों व खास लोगों के करीबियों को भी भर्ती किया जा रहा है। ऐसे मरीजों को अलग वार्ड में रखा गया है। अस्पताल में डाक्टर, स्टाफ व अन्य संसाधनों का खासा अभाव है। ऐसे में वीआइपी मरीजों ने स्टाफ के पसीने छुड़ा दिए हैं। किसी की सिफारिश में जनप्रतिनिधि का फोन आता है तो किसी के लिए न्यायिक अधिकारी व अन्य का। ऐसे मरीजों की जरूरतें पूरा करते हुए स्टाफ परेशान हो चुका है। कुछ वीआइपी तो हालात को समझ रहे हैं, मगर कुछ अस्पताल को होटल समझ बैठे हैं। ऐसे में स्टाफ करें तो क्या करे। दिनभर इनके लिए दौड़ना ही पड़ता है। 

सामान्य मरीजों का उपचार बाधित   

दीनदयाल अस्पताल में 300 से ज्यादा संक्रमित व संदिग्ध मरीज भर्ती हैं, इनमें ज्यादातर सामान्य मरीज ही हैं। इन मरीजों की देखभाल व उपचार के लिए ही पर्याप्त संख्या में डाक्टर, विशेषज्ञ, स्टाफ नर्स की जरूरत है, मगर स्वास्थ्य विभाग अभी तक इसकी व्यवस्था नहीं कर पाया है। एक डाक्टर व नर्स को कई बार 50-100 मरीजों पर एक साथ नजर रखनी होती है। ऐसे में बार-बार वीआइपी मरीजों की समस्याएं सामने आ जाती हैं। कोई खाना न मिलने की शिकायत करता है तो कोई खराब खाने की। कोई अपनी निजी जरूरतों का सामान मांगता है। इससे कई बार सामान्य कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों की देखभाल प्रभावित होती है। प्रबंधन भी कई बार ऐसे मरीजों से परेशानी हो जाता है, मगर कर कुछ नहीं पाता। बस स्टाफ को दौड़ाना मजबूरी है, अन्यथा किसी न किसी का फोन आ जाता है।  

निजी वार्ड में भर्ती होने की होड़ 

इस समय दीनदयाल अस्पताल के प्राइवेट यानी वीआइपी वार्ड में भर्ती होने के लिए सबसे ज्यादा मारामारी है। दरअसल, उनके लिए प्रबंधन ने अलग से स्टाफ को रखा है। ऐसे में हर कोई मरीज वीआइपी ट्रीटमेंट के लिए जुगाड़ लगाता दिखता है। ज्यादातर वीआइपी मरीजों को कोई लक्षण नहीं, लेकिन इनकी पूरी खातिर-तवज्जो करनी पड़ती है। अधिकारी भी इस बारे में कुछ बोलने को तैयार नहीं।

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