Birthday of Ganesh Shankar Vidyarthi: अंग्रेजों के खिलाफ लेख लिखने पर जेल गए थे विद्यार्थी Aligarh News

Birthday Ganesh Shankar Vidyarthi परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा माँ सरस्वती विद्या मंदिर कारस में सांप्रदायिक सद्भावना के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले महान क्रांतिकारी कलम के सच्चे सिपाही गणेश शंकर विद्यार्थी की 131 वीं जयंती मनाई गई।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 05:01 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 05:01 PM (IST)
Birthday of Ganesh Shankar Vidyarthi: अंग्रेजों के खिलाफ लेख लिखने पर जेल गए थे विद्यार्थी Aligarh News
कलम के सच्चे सिपाही गणेश शंकर विद्यार्थी की 131 वीं जयंती मनाई गई।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। सांप्रदायिक सद्भावना के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले महान क्रांतिकारी कलम के सच्चे सिपाही गणेश शंकर विद्यार्थी की 131 वीं जयंती मनाई गई। परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा माँ सरस्वती विद्या मंदिर कारस में आयोजित कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष जतन चौधरी ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय जिन पत्रकारों ने अपनी लेखनी को हथियार बनाकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी। उनमें गणेश शंकर विद्यार्थी का नाम सबसे अग्रणी व उल्लेखनीय है। अपने क्रांतिकारी लेखन व धारदार पत्रकारिता से तत्कालीन ब्रिटिश सत्ता को बेनकाब किया और इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। गणेश शंकर सांप्रदायिक दंगों की भेंट चढ़ने वाले संभवत: पहले पत्रकार थे। उनका जन्म 26 अक्टूबर, 1890 को इलाहाबाद में हुआ था। विद्यार्थी ने शिक्षा ग्रहण करने के बाद नौकरी शुरू की, लेकिन अंग्रेज अधिकारियों से नहीं पटने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी।

नौ नवंबर 1913 को कानपुर से स्वयं अपना हिंदी साप्ताहिक प्रताप के नाम से निकाला। इसी समय से 'विद्यार्थी' जी का राजनीतिक, सामाजिक और प्रौढ़ साहित्यिक जीवन प्रारंभ हुआ। विद्यार्थी कानपुर के मजदूर वर्ग के एक छात्र नेता हो गए। कांग्रेस के विभिन्न आंदोलनों में भाग लेने तथा अधिकारियों के अत्याचारों के विरुद्ध निर्भीक होकर "प्रताप" में लेख लिखने के संबंध में ये पांच बार जेल गए और "प्रताप" से कई बार जमानत माँगी गई। 'प्रताप' भारत की आज़ादी की लड़ाई का मुख-पत्र साबित हुआ। सरदार भगत सिंह को विद्यार्थी जी ने ही जोड़ा था। विद्यार्थी जी ने राम प्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा छापी, क्रान्तिकारियों के विचार व लेख निरंतर छापते रहते थे। उन्होंने क्रन्तिकारी पत्रिका की स्थापना की और उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद किया। उन्होंने पीड़ित किसानों, मिल मजदूरों और दबे-कुचले गरीबों के दुखों को उजागर किया। अपने क्रांतिकारी पत्रिकारिता के कारण उन्हें बहुत कष्ट झेलने पड़े। सरकार ने उनपर कई मुक़दमे किये, भारी जुरमाना लगाया और कई बार गिरफ्तार कर जेल भी भेजा। विद्यार्थी मज़हबी दंगों को रोकने की कोशिश में ही 25 मार्च 1931 को अपने प्राणों की कुर्बानी दी थी। ऐसे निर्भीक, निष्पछ, निष्ठावान देशभक्त कलम से क्रांति लाने वाले कलम के सच्चे सिपाही को कृत्यग्य राष्ट्र कोटि-कोटि नमन करता है। इस मौके पर रामप्रकाश शर्मा, बलवीर सिंह, वीरेश सिंह, तेजवीर सिंह, रैनू, हिमांशू, दीपक, पंकज, कविता, अरुन, राकेश, दिव्या, दीप्ती, लेखराज, मौनिका, लकी, गौरव आदि मौजूद रहे।

chat bot
आपका साथी