पीड़िताओं ने पीएम मोदी से लगाई गुहार : तीन तलाक देने वाले को 10 साल की सजा का प्रावधान करे सरकार Aligarh News

पीड़िताओं को दर-दर भटकना पड़ता है। समाज में ट्रिपल तलाक तलाक ए बिदत की पीड़िताओं को न्याय दिलाने समाज में सम्मान दिलाने के उद्देश्य से ही संस्था का गठन किया गया है। संस्था इन पीड़िताअों की ताकत बनेगी।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 05:56 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 05:56 PM (IST)
पीड़िताओं ने पीएम मोदी से लगाई गुहार : तीन तलाक देने वाले को 10 साल की सजा का प्रावधान करे सरकार Aligarh News
समाज में सम्मान दिलाने के उद्देश्य से ही संस्था का गठन किया गया है।

अलीगढ़, जेएनएन। तीन तलाक को लेकर कानून लागू होने के बाद भी महिलाअों का उत्पीड़न लगातार जारी है। ऐसे में तीन तलाक पीड़िताओं को न्याय दिलाने के मकसद से अलीगढ़ में ट्रिपल तलाक विक्टिम रेवोल्यूशन सोसाइटी का गठन किया गया है। बुधवार को संस्था के पदाधिकारियों ने कहा कि कानून में कठोर प्रावधान होने चाहिए। तीन तलाक देने पर तीन साल की बजाय 10 साल की सजा होनी चाहिए। 

प्रेस क्लब में बुधवार को ट्रिपल तलाक विक्टिम रिवोल्यूशन सोसाइटी के संरक्षक इफराहीम हुसैन ने बताया कि तीन तलाक के आरोपितों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जबकि  पीड़िताओं को दर-दर भटकना पड़ता है। समाज में ट्रिपल तलाक, तलाक ए बिदत की  पीड़िताओं  को न्याय दिलाने, समाज में सम्मान दिलाने के उद्देश्य से ही संस्था का गठन किया गया है। संस्था इन पीड़िताअों की ताकत बनेगी। इसके माध्यम में  पीड़िताओं  को शिक्षा, आवास, रोजगार भी मुहैया कराया जाएगा। उनके घरेलू झगड़े के निपटारा कराएंगे। इसके लिए शासन से मदद की गुहार लगाई गई है। कठोर प्रावधान बनाने के लिए सरकार को पत्र लिखा गया है। अध्यक्ष यासमीन खालिद ने कहा कि पीड़िताअों को कानून के बारे में जानकारी दी जाएगी, ताकि वह शोषित ना रहें। उन्हें कानूनी मदद भी दिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार के आभारी हैं कि  पीड़िताओं  के लिए साढ़े 10 करोड़ रुपये बजट में फंड रखा है। लेकिन, ये काफी नहीं है। पीड़िताअों को शिक्षित करने व उन्हें स्वाबलंबी बनाने के लिए योजनाअों की जरूरत है। इसके लिए शासन-प्रशासन से मदद की दरकार है। 

ये चार मांगे रखीं 

संस्था की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि तीन तलाक के आरोपितों को 10 साल की सजा का प्रावधान किया जाए। पीड़िता को बिना परेशान किए प्राथमिकता से उसकी प्राथमिकी दर्ज की जाए। पीड़िता को तलाक के दिन से ही संपत्ति व आय का आधा भाग दिया जाए। साथ ही ऐसा प्रावधान किया जाए, जिससे आरोपितों को जमानत न मिल सके, ताकि उनके अंदर डर पैदा हो।

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