Special on Tuntun Birthday :मथुरा की टुनटुन ने एक्टिंग से सिंगिंग तक फिल्म नगरी में बनाई थी अलग पहचान, एक गाने ने बनाया था रिकार्ड
फिल्म नगरी मुंबई में उत्तर प्रदेश के जनपद मथुरा की रहने वाली टुनटुन ने ऐसा कमाल कर दिखाया था कि वो भारत की पहली कॉमेडियन बन गईं। फिल्मों में उनके लिए खास रोल लिखे जाते थे।
अलीगढ़ [जेएनएन] : फिल्म नगरी मुंबई में उत्तर प्रदेश के जनपद मथुरा की रहने वाली टुनटुन ने ऐसा कमाल कर दिखाया था कि वो भारत की पहली कॉमेडियन बन गईं। फिल्मों में उनके लिए खास रोल लिखे जाते थे। उन्होंने अपने समय के सभी स्टार्स के साथ काम किया। टुन टुन ने करीब 200 फिल्मों में अभिनय किया। 90 का दशक में उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली थी । वह मथुरा के अलीपुर गांव की थीं। 11 जुलाई 1923 को टुनटुन का जन्म हुआ था। उमा रानी खत्री यानी टुनटुन ने खूब हंंसाया था।
टुनटुन ने बचपन से ही किया संघर्ष
जब टुनटुन छोटी थीं, तब माता-पिता की जमीनी रंजिश में हत्या कर दी गई थी। 1947 में रंजिश में अपनी जान बचाकर 13 साल की उम्र में वह बंबई फिल्म कलाकार अरुण आहूजा और निर्मला के घर जा पहुंची। अरुण आहूजा हीरो गोविंदा के पिता थे। सजातीय होने के नाते पंजाबी अनाथ कन्या को उन्होंने अपने पास रख लिया।कहते हैं कि 'बहता पानी और कला' आखिर अपने मुकाम पर पहुंच ही जाती है। अरुण आहूजा एक दिन उमा को संगीतकार नौशाद साहब के पास ले गए। नौशाद से कहा कि यह लड़की अनाथ है। मथुरा से भाग कर आयी है। मेरे पास रह रही है। गुनगुनाती रहती है । आप इससे कोई गाना गंवाइये। लड़की जिद पकड़ गई और नौशाद से बोली- 'आपने अगर मुझसे गाना नहीं गंवाया तो मैं आपके बंगले के बाहर इस समुद्र में कूद कर अभी मरती हूं'। जिद के सामने नौशाद को उमा रानी खत्री से एक गाना गंवाना पड़ा। वह गाना था--
एक गाने ने बनाया था रिकार्ड
'अफसाना लिख रही हूं दिल ए बेकरार का
अंखियों में रंग भर के, तेरे इंतजार का'....
जब यह गाना रिकॉर्ड हुआ तो नौशाद ने पूछा कि 'उमा तुझे मालूम है यह किस स्वर में गाना गाया है ? तुझे संगीत की समझ नहीं है'। नौशाद जिसे घटिया गाना समझ रहे थे वही गाना बेहद लोकप्रिय हुआ। उस जमाने में इस गीत के सारे रिकॉर्ड टूट गए थे। बाद में उमा ने कई और गाने गाए जो फिल्मों में पसंद किए गए थे। इस बीच नौशाद ने कहा कि-' उमा अब लता व आशा भोंसले जैसी तमाम गायिका फिल्मों में गाने लगी हैं। तू अब फिल्मों में एक्टिंग कर। वह लड़की फिर जिद पकड़ गई और बोली कि--मैं फिल्मों में एक्टिंग करूंगी तो पहली फिल्म दिलीप कुमार के साथ ही करूंगी। ऐसा ही हुआ। वर्ष 1950 में 'बाबुल' फिल्म में उमा रानी खत्री को एक रोल दिया गया। फिल्म बाबुल के एक सीन में टुनटुन और दिलीप कुमार चारपाई पर गिरते हैं। उमा का वजन उस वक्त कुछ बढ रहा था। अचानक दिलीप के मुंह से निकल गया कि 'अरे ये लडकी तो टुनटुन है'। उसी दिन से उमा का नाम टुनटुन पड़ गया।
भारतीय फिल्मों की पहली महिला कॉमेडियन
टुनटुन भारतीय फिल्मों की पहली महिला कॉमेडियन थीं। आज भी मोटी औरतों को 'टुनटुन'नाम से पुकारा जाता है। इस महिला कलाकार ने 300 फिल्मों में काम किया था। संयोग से नौशाद भी यूपी लखनऊ के थे। वह अपने परिवार व रिश्तेदारी में यही बताते थे कि- 'मैं बंबई में कपड़े सिलता हूं। जब उनकी शादी हुई तो उन्हीं की बनाई हुई धुनों वाले फिल्मी गीतों पर बराती नाच रहे थे। नौशाद ने अपने संगीतकार होने का राज तब खोला जब उनकी शादी हो चुकी थी। यदि वह पहले बता देते तो कोई अपनी लड़की की उनसे शादी नहीं करता। उस जमाने में संगीत वाद्य बजाने वाले को नीची नजर से देखा जाता था।