Seminar : नकारात्‍मकता को छोड सकारात्‍मकता को अपनाने का करें प्रयास Aligarh news

स महामारी के दौरान यह सम्भाविक है कि हम लोग नकारात्मकता को छोड़ सकारात्मकता को अपनाने का प्रयास कर रहे हैं। उससे भी ज्यादा आवश्यक है कि हम उद्देश्य परक होकर शरीर और बाहरी स्थितियों से परे स्वयं को देखें अपनी आत्मा को देखें।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 05:09 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 05:09 PM (IST)
Seminar : नकारात्‍मकता को छोड सकारात्‍मकता को अपनाने का करें प्रयास Aligarh news
सेमिनार में बोलते मंगलायतन विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के डीन प्रो जयंतीलाल जैन ।

अलीगढ़, जेएनएन । इस महामारी के दौरान यह सम्भाविक है कि हम लोग नकारात्मकता को छोड़ सकारात्मकता को अपनाने का प्रयास कर रहे हैं। उससे भी ज्यादा आवश्यक है कि हम उद्देश्य परक होकर शरीर और बाहरी स्थितियों से परे स्वयं को देखें, अपनी आत्मा को देखें। इसका ज्ञान होने से शांति एवं सौहार्द की भावना बढ़ेगी, आत्मा एक शाश्वत स्वरूप हैं। क्षणिक और दिखाई देने वाला पर्याय रूप है। शाश्वत शरीर का विचार हमें सांसारिक परिस्थितियों से उचा उठाकर शांति व सुख प्रदान करता है। यह बातें मंगलायतन विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के डीन प्रो जयंतीलाल जैन ने विवि द्वारा आयोजित की जा रही सेमिनार श्रृंखला के दूसरे दिन कहीं।

आत्‍मा की आंतरिक और बाहरी संरचना पर सेमिनार

सोमवार को आयोजित सेमिनार का विषय "आत्मा की आंतरिक और बाहरी संरचना" रहा। संचालन नियति शर्मा ने किया। इस दौरान प्रो गुरूदास उल्लास, प्रो असगर अली अंसारी, प्रो आरके शर्मा, डॉ राजीव शर्मा, डॉ अनुराग शाक्य, डॉ अशोक उपाध्याय, डॉ सैयद दानिश, डॉ शिव कुमार,डॉ दीपशिखा सक्सेना, मोहन माहेश्वरी, मनीषा उपाध्याय, अभिषेक गुप्ता, डॉ सिद्धार्थ जैन, डॉ जावेद वसीम, देवेन्द्र कुमार, डॉ आरके घोष, डॉ जीवन कुमार, डॉ सुलभ चतुर्वेदी, डॉ मोहम्मद शाकिब,डॉ विकास शर्मा, वसीम अहमद, अनुराधा यादव, श्वेता भारद्वाज, विकास वर्मा, आदि मौजूद रहे।

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