रसोई में ही छिपा सेहत का खजाना, भूल जाइए टानिक Aligarh News
क्लीनिक से दवा लेने के बाद अक्सर रोगी टानिक लिखने की जिद करते हैं। डाक्टर भी बिना सोचे-समझे अपने हिसाब से कोई टानिक लिख देते हैं। आयुष चिकित्सकों के अनुसार अंग्रेजी टानिक के कोई न कोई दुष्प्रभाव सामने आ जाते हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। क्लीनिक से दवा लेने के बाद अक्सर रोगी टानिक लिखने की जिद करते हैं। डाक्टर भी बिना सोचे-समझे अपने हिसाब से कोई टानिक लिख देते हैं। आयुष चिकित्सकों के अनुसार अंग्रेजी टानिक के कोई न कोई दुष्प्रभाव सामने आ जाते हैं। जबकि, आपकी रसोई में ही टानिक का भंडार है। केवल पहल करने की जरूरत है। यदि आपने रसोई में छिपे सेहत के खजाने को आजमाया तो टानिक भूल जाएंगे। क्या है आपकी रसोई में ऐसा, जो आपको सेहतमंद बनाएगा? बता रहे हैं शहर के वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डा. एसके गौड़।
ज्यादा टानिक पर भरोसा ठीक नहीं
डा. गौड़ के अनुसार दवा को उपचार तक सीमित रखें तो ठीक है। तंदुुरुस्त होने के लिए दवा या टानिक पर ज्यादा निर्भरता ठीक नहीं। इसके लिए देसी नुस्खे ही बहुत हैं। किचिन में ही हर प्रकार का टानिक मिल जाएगा, जो आपको पांचों पोषक तत्व (कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिंस व मिनरल्स) प्रचुर मात्रा में बिना किसी दुष्प्रभाव के आपको सेहतमंद बनाएंगे। ये आसानी से पचने वाले भी, लिवर को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाते।
रसोई में सेहत
कार्बोहाइड्रेट-शरीर को अबिलम्ब ऊर्जा वाले-गुड़, खजूर, किशमिश, मुनक्का, छुआरे, चीकू, अंगूर, आम, लीची, सेब,अनार आदि। वसा-सरसों व मूंगफली का तेल उत्तम साधन है। हृदय रोग व मोटापा से बचाव होता है। क्योंकि, अपनी विशेषता की वजह से ये भयंकर ठंड में भी नहीं जमते।इसीलिए रक्तनलियों व मांसपेशियों में भी ना जमा होने वाले अच्छे पाचक सिद्ध होते हैं।
प्रोटीन: मांसपेशियों को ऊर्जावान कर मजबूती प्रदान करती है।यह हर प्रकार की दालों(विशेषकर साबुत बिना छिलका उतारे),देसी चना, राजमा, सोयाबीन आदि।
विटामिंस: लगभग सारी सुगमता से मिल जाती हैं।मौसमी फलों व सब्जियों में।
विटामिन ए: आंखों की बीमारियों से बचाव के लिए पालक, गाजर, आटे की भूसी (बिना छाने आटे का सेवन)।
विटामिन सी: सभी खट्टे फलों जैसे-नीबू, संतरा, आम(कच्चा) आदि। तरबूज,खरबूज, लोकी ,तोरई, खीरा आदि में पानी की प्रचुर मात्रा होने पर गर्मी से बचने व बरसात के उल्टी-दस्त में लाभकारी सिद्ध होते हैं।
कैल्शियम-हड्डियों व दाँतों की बीमारियों(रिकैत, ओस्टीयोपोरोसिस, पायरिया ,कीड़ा आदि)में अहम भूमिका निभाते हैं।सफेद रंग वाले खाद्द पदार्थों व हरी(पत्तेदार )सब्जियों में आसानी से उपलब्ध हो जाती है । जैसे-पालक, मैथी, बथुआ, मूली, गाजर, मखाने, केला, सेब,अनार, आम आदि।