थिएटर के कलाकारों की तरह किरदार निभा रहा ट्रामा सेंटर, हर तरफ सिर्फ ड्रामा, जानिए मामला Aligarh news

ट्रामा सेंटर यानि सड़क व अन्य हादसों में घायल मरीजों के समुचित इलाज की सुविधा वाला केंद्र। यह अलग बात है कि ट्रामा सेंटर के नाम पर अधिकतर अस्पतालों में ड्रामा ही चल रहा है। जिस तरह थियेटर के कलाकार अलग-अलग किरदार बदलते रहते हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 06:02 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 07:43 AM (IST)
थिएटर के कलाकारों की तरह किरदार निभा रहा ट्रामा सेंटर, हर तरफ सिर्फ ड्रामा, जानिए मामला Aligarh news
ट्रामा सेंटर के नाम पर अधिकतर अस्पतालों में ड्रामा ही चल रहा है।

अलीगढ़, जेएनएन । ट्रामा सेंटर यानि सड़क व अन्य हादसों में घायल मरीजों के समुचित इलाज की सुविधा वाला केंद्र। यह अलग बात है कि ट्रामा सेंटर के नाम पर अधिकतर अस्पतालों में ड्रामा ही चल रहा है। जिस तरह थियेटर के कलाकार अलग-अलग किरदार बदलते रहते हैं। उसी तरह कथित ट्रामा सेंटरों में मरीज के आते ही वार्ड ब्वाय व ओटी टेक्नीशियन डाक्टर बन जाते हैं। महिला स्वीपर एप्रन पहनकर सपोर्टिंग स्टाफ में शामिल हो जाती है। रिसेप्शन पर बैठे लड़के-लड़कियां तक एप्रन पहनकर पैरा मेडिकल स्टाफ की भूमिका में दिखने लगते हैं। कुछ जगह डाक्टर व स्टाफ मिल भी जाएं तो वहां सुविधा नहीं होती। दैनिक जागरण की टीम ने बुधवार को क्वार्सी-एटा बाईपास, एटा चुंगी, धनीपुर मंडी क्षेत्र के अस्पतालों में संचालित ट्रामा सेंटरों की पड़ताल की तो ऐसे ही अजब-गजब किरदार सामने आए। दो से तीन कमरों या बड़े हाल में केबिन बनाकर संचालित कथित ट्रामा सेंटरों में मरीजों के जीवन को खतरा भी कम नहीं। ऐसे ट्रामा सेंटरों की हकीकत सामने लाने के लिए दैनिक जागरण ने ‘ट्रामा का ड्रामा’ अभियान शुरू किया है। पेश है पहली किस्त...

अनट्रेंड स्टाफ, एंबुलेंस तक नहीं

जागरण टीम सबसे पहले क्वार्सी स्थित लीलावती हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर पहुंची। इसे क्वालीफाइड डाक्टरों द्वारा संचालित किया जा रहा था। लेकिन, बाहर कोई एंबुलेंस नजर नहीं आई। टीम कयामपुर मोड़ स्थित हार्दिक हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर पर पहुंची। बाहर 10 स्थानों पर ट्रामा सेंटर का नाम प्रमुखता से दर्शाया गया था। अंदर पहुंचने पर कुछ कर्मचारी बिना एप्रन के इधर से उधर टहलते नजर आए। कुछ कर्मचारी रिसेप्शन पर बैठे हुए थे। टीम ने एक कर्मचारी को पास बुलाकर डाक्टर साहब और उनका नाम पूछा तो वह सकपका गया। बोला, नए डाक्टर आए हैं अभी, इसलिए मुझे नाम नहीं पता। अभी हैं नहीं, कोई मरीज हो तो ले आएं, उन्हें बुला लेंगे।

कासगंज से आते हैं डाक्टर साहब

यहां से टीम एटा चुंगी की ओर बढ़ी, यहां ग्रीन पार्क पेट्रोल पंप के पास लक्ष्य हास्पिटल ट्रामा एंड क्रिटिकल केयर पर पहुंची। बोर्ड पर चार-चार डाक्टरों के नाम अंकित थे। आइसीयू, बर्न वार्ड, वेंटीलेटर आदि की सुविधा का भी दावा किया गया। ‘संपर्क सूत्र राजू नायक’ लिखा हुआ था। अंदर पहुंचने पर एक बड़े से हाल में एक तरफ केबिन नजर आए, जिसमें कुछ वार्ड, ओटी व संचालक के बैठने की व्यवस्था की गई। दूसरी तरफ रिसेप्शन पर छह-सात कर्मचारी इकट्ठा थे। रिसेप्शन के पीछे तीन-चार बेड कतार से पड़े हुए थे, जिनपर मरीज लेटे हुए थे। इसी दौरान रिसेप्शन के पास खड़े कर्मचारी ने एप्रन डाली और एक अन्य कर्मचारी की मदद से मरीज की ड्रिप चेंज करने लगा। पास ही बैठे कासगंज के मेघसिंह ने बताया कि पत्नी का आपरेशन कराने आया हूं। डाक्टर का नाम वह नहीं बता पाए। बोले, डाक्टर साहब भी कासगंज के रहने वाले हैं, आपरेशन करके चले गए।

छुट्टी पर गए सभी डाक्टर

अपैक्स हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर का बोर्ड नजर आया। गेट के पास ही पांच-छह लोग बैठे हुए थे। दीपक नामक युवक से जानकारी करने पर पता चला हैं? कि उनके मरीज को पेट के आपरेशन के लिए ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया, लेकिन संचालक ने उसका रेणुका हास्पिटल में कराया था, वहां आपरेशन तो हो गया, लेकिन आक्सीजन खत्म बताकर वापस यहीं भेज दिया गया। टीम अंदर पहुंची तो तीन-चार बेड पर मरीज भर्ती नजर आए। वेंटीलेटर, एक्स-रे आदि की कोई सुविधा नहीं दिखी। डाक्टर के बारे में पूछने पर एक तीमारदार ने आफिस (केबिन) की तरफ इशारा कर दिया। अंदर मेज के पीछे दो व्हील चेयर थी, छोटी चेयर पर जो व्यक्ति नजर आया, उसने अपना नाम किशनपाल सिंह बताया। डाक्टरों के बारे में पूछने पर बताया कि एक एनेस्थेटिक्स व दो बीएमएस डाक्टर होने की जानकारी दी। यह भी बताया कि तीनों मुस्लिम हैं, इसलिए ईद की वजह से अस्पताल नहीं आए हैं। यह पूछने पर कि यदि कोई गंभीर मरीज आया तो क्या होगा? कोई जवाब नहीं दिया। क्या आप हास्पिटल के मैनेजर हैं? यह पूछने पर कहा, मैं भी मजबूरन बैठा हूं।

सभी जगह एक जैसा हाल

जागरण टीम धनीपुर मंडी, खैर रोड व सारसौल जीटी रोड पर भी गई। यहां भी कई हास्पिटलों में ट्रामा सेंटर व क्रिटिकल केयर सेंटर होने का दावा होता पाया गया। लेकिन, हकीकत में कहीं पर भी ट्रामा सेंटर के मानक पूरे नहीं पाए गए। सभी जगह एक जैसा ही हाल दिखा।

ट्रामा सेंटर के मानक

किसी भी हास्पिटल में ट्रामा सेंटर संचालित करने के लिए सिविल सर्जन, एनेस्थेटिक्स, ऑर्थोपेडिक सर्जन, न्यूरो सर्जन के अलावा दूसरे स्पेशलिस्ट, ओटी टेक्नीशियन व वेंटीलेटर टेक्नीशियन समेत अन्य ट्रेंड सहयोगी स्टाफ होना चाहिए। एक्स-रे, थ्रीडी अल्ट्रासाउंड मशीन, सीटी स्कैन, ओटी सीलिंग लाइट, पैरामानीटर, एनेस्थीसिया मशीन, वेंटीलेटर, ट्रांसपोर्ट वेंटीलेटर, एबीजी मशीन, डेफिब्रिलेटर मानीटर, पावर ड्रिल, , स्पलिंट, ट्रैक्शन आदि की उपकरण अनिवार्य हैं। मरीजों को भर्ती करने के लिए पांच से 10 बेड की रिकवरी यूनिट भी होनी चाहिए। जरूरत होने पर मरीज को तुरंत ही रेफर किया जा सके, इसके लिए एंबुलेंस भी अनिवार्य है। अफसोस, कथित रूप से संचालित ट्रामा सेंटरों में 50 फीसद भी मानक पूरे नहीं।

आप भी ईमेल से भेजिए शिकायत

कथित ट्रामा व क्रिटिकल केयर सेंटरों में व्याप्त अव्यवस्था व लूट के शिकार आप भी हुए हो सकते हैं। यदि आपके साथ पूर्व में इन सेंटरों पर कोई अप्रिय घटना हुई हो या बुरा अनुभव रहा हो तो हमें ईमेल से जानकारी भेजें। हम आपकी आवाज अफसरों तक पहुंचाएंगे।

ईमेल-aligarh@ali.jagran.com

इनका कहना है

हास्पिटल में ट्रामा सेंटर संचालित करने के लिए निर्धारित मानकों का पालन करना अनिवार्य है। यदि विशेषज्ञ, ट्रेंड स्टाफ व जरूरी सुविधाअों के बिना ही ट्रामा चल रहे हैं तो गंभीर बात है। ऐसे ट्रामा सेंटरों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई होगी।

- डा. आनंद कुमार उपाध्याय, सीएमओ।

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