अलीगढ़ में पर्यटन की असीम हैं सभावनाएं, संवारने की जरूरत, जानिए विस्‍तार से

ब्रज क्षेत्र से सटे अलीगढ़ में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां द्वापरयुग से जुड़े पौराणिक स्थल हैं तो त्रेतायुग का विशाल सरोवर है जो अलीगढ़ की धरती को पुण्य करता है। भोजताल रमणीय स्थल के रुप में है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 10:11 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 10:11 AM (IST)
अलीगढ़ में पर्यटन की असीम हैं सभावनाएं, संवारने की जरूरत, जानिए विस्‍तार से
धरणीधर व भोजताल रमणीय स्थल के रुप में है। इसे पर्यटन के रुप में विकसित नहीं किया।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। ब्रज क्षेत्र से सटे अलीगढ़ में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां द्वापरयुग से जुड़े पौराणिक स्थल हैं तो त्रेतायुग का विशाल सरोवर है, जो अलीगढ़ की धरती को पुण्य करता है। भोजताल रमणीय स्थल के रुप में है। हालांकि, इन स्थलों को पर्यटन के रुप में विकसित नहीं किया गया, वरना यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता रहता है।

भगवान कृष्‍ण आए थे यहां

अलीगढ़ का प्राचीन नाम कोल था। द्वापरयुग में यहां भगवान श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ आए थे। उन्होंने कोल नामक राक्षस का वध किया था। लोधा क्षेत्र में श्री खेरेश्वरधाम मंदिर स्थित विशाल टीला था। यहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बड़े भाई के साथ विश्राम किया था। यहीं पर स्थित शिवलिंग का पूजन भी किया था। इसी के बाद से यह स्थान धार्मिक स्थल के रुप में प्रसिद्ध हो गया। यहां बांके बिहारीजी की तरह कन्हैया विराजमान हैं। संगीत सम्राट और भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त स्वामी हरिदासजी की भी प्रतिमा स्थापित है। इससे यह मंदिर ब्रज को जोड़ता है। इसे यदि विकसित किया जाता तो यहां श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा रहता। बेसवां स्थित धरणीधर सरोवर त्रेतायुग का बताया जाता है। किवदंती के अनुसार यहां पर विश्वामित्र ने हवन किया था। हवन कुंड ही वर्तमान में विशाल सरोवर के रुप में है, जाे पांच बीघे के करीब में होगा। वर्तमान में इस सरोवर में लोग स्नान करते हैं। मेला भी लगता है। 84 कोसी परिक्रमा के अंतर्गत आने के चलते यहां श्रद्धालुओं की अपार भीड़ लगी रहती है, मगर सरोवर को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित नहीं किया गया। चंडौस स्थित भोजताल भी रमणीय स्थलों में से एक है। यहां संतों का डेरा रहता है। चारों तरफ मंदिर भी यहां की खूबसूरती को बढ़ाते हैं। मगर, भोजताल को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित नहीं किया गया। जिससे यहां भी लोगाें का आना कम होता है।

संवर रहा है अचल सरोवर

शहर के बीचों-बीच स्थित अचल सरोवर संवर रहा है। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत आने के चलते सरोवर पर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। 22 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है। जिसमें चारों ओर फुटपाथ होगा। जल को स्वच्छ किया जाएगा। विशाल शिवजी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। अचल सरोवर में द्वापरयुग में पांडव के दोनों छोटे भाई नकुल और सहदेव के आने की चर्चा रहती है। यहां पर दोनों भाइयों ने सरोवर में स्नान किया था और शिवजी की पूजा की थी।

खेरेश्वरमधाम में निर्माण कार्य कराया गया था। पर्यटन की दृष्टि से प्रस्ताव भी बनाकर भेजा गया है। जल्द ही स्वीकृत हो जाएगा। अचल सरोवर पर लगातार कार्य हो रहा है, जो शहर की खूबसूरती को और बढ़ाएगा। बड़ी संख्या में यहां पयर्टक आएंगे। जिले में अन्य जो भी स्थल हैं, उन्हें पयर्टन स्थल के रुप में विकसित कराया जाएगा।

सतीश कुमार गौतम, सांसद

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