Aligarh Panchayat Chunav Results 2021: किसान और कोरोना ने भाजपा की कमजोर की जमीन Aligarh News
पंचायत चुनाव में भाजपा ने जीत के लिए जो राजनीतिक जमीन एक साल से तैयार की थी उसे किसानों के आंदोलन और कोरोना ने कमजोर कर दिया। इसी का परिणाम रहा कि 30 सीटें जितने का दावा करने वाली भाजपा नौ सीट पर ही सिमट कर रह गई।
अलीगढ़, जेएनएन। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा ने जीत के लिए जो राजनीतिक जमीन एक साल से तैयार की थी उसे किसानों के आंदोलन और कोरोना ने कमजोर कर दिया। इसी का परिणाम रहा कि 30 सीटें जितने का दावा करने वाली भाजपा नौ सीट पर ही सिमट कर रह गई। इसी का परिणाम रहा कि खैर से एक और इगलास से दो सीटें ही हासिल हुई हैं। जाट बाहुल्य इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में किसानों ने कृषि बिल के विरोध में जमकर आंदोलन किया था।
किसानों में कृषि कानून को लेकर जबदस्त आक्रोश
2017 के बाद से भाजपा हर चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती आ रही थी। सहकारी समितियों के चुनाव में भाजपा ने दमदार प्रदर्शन किया था, इसके बाद स्नातक की सीट जीतकर भाजपा ने इतिहास रच दिया था। उसके तुरंत बाद भाजपा पंचायत चुनाव में जुट गई थी। जिस प्रकार से तैयारी चल रही थी, उससे पार्टी के नेता 30 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रहे थे। मगर, कृषि कानून के विरोध में किसानों के आंदोलन ने भाजपा की जमीन दरकानी शुरू कर दी थी। खैर और इगलास विधानसभा क्षेत्र में किसानों में कृषि कानून को लेकर जबदस्त आक्रोश था। इसलिए यहां से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली आंदोलन में शामिल होने गए थे। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के खिलाफ लगातार प्रदर्शन चल रहा था। यहां तक जनप्रतिनिधियों का भी कई बार विरोध हो चुका था। कृषि कानून के विरोध का गुस्सा कुछ थमा ही था कि कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो गई, मार्च में जिस समय यह लहर शुरू हुई उस समय पंचायत चुनाव की शुरुआत हो रही थी। कोरोना से जो भयावह तस्वीर सामने आ रही थी उससे हर कोई कांप उठ रहा है। अभी तक स्थिति सामान्य नहीं हुई। इससे हर जुबान पर भाजपा को लेकर गुस्सा दिखाई देने लगा। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि किसान और कोराेना के चलते भाजपा को पंचायत चुनाव में शिकस्त खानी पड़ी।
सबसे अधिक जाट समाज से जीत की हासिल
जिला पंचायत चुनाव में सबसे अधिक निर्दलीय 16 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। मगर, इससे भी चौकाने वाली बात यह है कि सबसे अधिक जाट समाज के प्रत्याशी जीते हैं। जाट समाज से जिले में 17 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। इससे यह पता चल रहा है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जो जाट समाज भाजपा के साथ था वो अब धीरे-धीरे छिटकने लगा है।