हाथरस में तीन मंजिला मकान गिरा, मलबे में दबकर चार घायल

प्रवीन कुमार पुत्र स्वर्गीय रामकुमार अपने पुश्तैनी मकान में हलवाई खाना स्थित जैन गली में परिवार के साथ रहते थे। तीन मंजिला मकान शुक्रवार सुबह अचानक भरभरा कर गिर गया। तीसरी व दूसरी मंजिल की छत गिर जाने से परिवार के लोग उसमें दब गये।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 01:01 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 01:01 PM (IST)
हाथरस में तीन मंजिला मकान गिरा, मलबे में दबकर चार घायल
तीन मंजिला मकान शुक्रवार सुबह अचानक भरभरा कर गिर गया।

हाथरस, जेएनएन। बरसात के कारण शुक्रवार की सुबह करीब दस बजे कोतवाली सदर के हलवाई खाना स्थित जैन गली में एक तीन मंजिल मकान भरभरा कर गिर गया। मलबे में दबने से परिवार के चार लोग घायल हो गए। फायर बिग्रेड कर्मियों ने मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालकर उपचार के लिए निजी अस्पताल भेज दिया। प्रशासनिक व पुलिस विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर छानबीन की। गली संकरी होने के कारण मदद पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

लोहे के गाटर सड़क पर गिरे

प्रवीन कुमार पुत्र स्वर्गीय रामकुमार अपने पुश्तैनी मकान में हलवाई खाना स्थित जैन गली में परिवार के साथ रहते थे। तीन मंजिला मकान शुक्रवार सुबह अचानक भरभरा कर गिर गया। तीसरी व दूसरी मंजिल की छत गिर जाने से परिवार के लोग उसमें दब गये। मकान गिर जाने से लोहे के गाटर व पत्थर सड़क पर आ गिरे। मकान गिर जाने से क्षेत्र में सनसनी मच गई। सैकड़ों की संख्या में लोग एकत्रित हो गए। लोगों ने आनन फानन में सूचना पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को दी। सूचना पर कोतवाली पुलिस के अलावा फायर बिग्रेड कर्मी मौके पर पहुंच गए। मलबे के अंदर दबे लोगों को बाहर निकाला गया। मलबे में दबने से प्रवीन की चार वर्षीय पुत्री मान्या व तीन वर्षीय खुशी तथा पत्नी रानी घायल हो गई। 18 वर्षीय ऐली पुत्री किशोर को बड़ी मुश्किलों के बाद जाकर बाहर निकाला जा सका। चारों घायलों को उपचार के लिए निजी अस्पताल भेजा गया। एसडीएम सदर व तहसीलदार ने निजी अस्पताल जाकर घायलों का हालचाल लिया।

संकरी गली होने से दिक्कतें

जैन गली काफी छोटी है,जिसमें होकर बड़े वाहन नहीं गुजर सकते। मकान गिर जाने की सूचना मिलने पर प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए। गली संकरी होने के कारण एंबुलेंस को भी काफी दूर हलवाई खाने में खड़ा करना पड़ा। यदि गली बड़ी होती तो शायद जल्दी मदद घायलों को मिल जाती।

चटक रहा था मकान

तीसरी मंजिल का निर्माण कुछ समय पूर्व ही कराया गया था। जिसकी दीवारों पर प्लास्टर भी नहीं हो रहा था। पिछले कुछ दिन पूर्व मकान की दीवारों के चटक जाने की जानकारी आसपास के लोगों ने दी थी और उसे सही कराने के लिए कहा गया था। लेकिन इसी बीच बरसात का मौसम शुरू हो गया। लगातार बारिश होने के कारण दीवारें गीली हो गई थी। यदि समय रहते मकान को सही करा लिया जाता तो शायद हादसा न होता। हादसे के दौरान यह गनीमत रही कि उस समय गली से कोई गुजर नहीं रहा था। वरना बड़ा हादसा हो सकता था। क्योंकि गली के आमने सामने मकान व दुकानें बनी हुई थी। लोहे के गाटर व पत्थरों के गली में आकर गिरे।

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