अलीगढ़ में डलावघर कम करने पर सिर्फ चर्चाएं ही हुईं, खत्म एक न हुआ
शहर में 84 डलावघर हैं। इनमें कई तो आबादी वाले इलाकों में है। डलावघरों पर कूड़ा फेंकने परंपरा वर्षों से चली आ रही है। पहले यहां लोहे के बड़े कूड़ेदान रखे रहते थे। सफाई कर्मचारी व आम लोग इन्हीं में कूड़ा डालते थे।
अलीगढ़, जेएनएन। शहर की सड़कों पर मुसीबत बने डलावघरों को कम करने पर चर्चा तो कई बार हुईं, लेकिन इनमें एक भी खत्म नहीं किया जा सका। दो साल पहले तो तत्कालीन नगर आयुक्त ने सर्वे तक करा लिया था। दिखवाया गया कि आबादी वाले इलाकों से किन डलावघरों को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए जो टीम बनाई गई, उसने कोई रिपोर्ट नहीं दी। न ही इस टीम से रिपोर्ट मांगी गई। तब से लेकर अधिकारी इस विषय पर मंथन ही करते आ रहे हैं। धरातल पर कुछ नहीं किया। नए नगर आयुक्त गाैरांग राठी ने भी इस पर नए सिरे से मंथन शुरू कर दिया है। डलावघर कम कर सफाई व्यवस्था बेहतर करने के आदेश संबंधित विभाग को दिए हैं।
यह है नगर निगम की व्यवस्था
शहर में 84 डलावघर हैं। इनमें कई तो आबादी वाले इलाकों में है। डलावघरों पर कूड़ा फेंकने परंपरा वर्षों से चली आ रही है। पहले यहां लोहे के बड़े कूड़ेदान रखे रहते थे। सफाई कर्मचारी व आम लोग इन्हीं में कूड़ा डालते थे। क्रेन के जरिए कूड़ेदान उठाकर ट्राली में खलाए जाते थे। ये व्यवस्था खत्म कर कूड़ेदान हटवा दिए गए। फिर सड़क किनारे ही कूड़ा डलने लगा। जहां डलावघर बनाए गए थे, वहां आसपास कालोनियां बस गईं। लोगों को प्रतिदिन कूड़ा-करकट का सामना करना पड़ रहा है। नगर आयुक्त ने कहा है कि आबादी वाले इलाकों से डलावघर हटाए जाएंगे। इन्हें कहीं और शिफ्ट किया जाएगा। जल्द ही ये व्यवस्था प्रभावी होगी। वहीं सभी सफाई कर्मचारियों की प्रोफाइल तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। सेनिटरी लैंडफिल बनाने, कूड़ा निस्तारण प्लांट की क्षमता बढ़ाने, आउटर एरिया को कूड़ा मुक्त बनाने का निर्णय लिया है। अपर नगर आयुक्त अरुण कुमार गुप्त ने बताया सभी स्वच्छता निरीक्षकों को कड़े दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि शहर को गंदा करने वालों पर प्रतिदिन कार्रवाई की जाए।