Seminar at Mangalayatan University : दुनिया को एक अधिक टिकाऊ खाद्य प्रणाली की आवश्यकता : डा कुमार Aligarh news
सम्मेलन के द्वितीय दिवस पर असिस्टेंट डायरेक्टर एसआईएडी केरला डॉ. एस नन्द कुमार ने भोजन और पर्यावरण के संबंध में बताया। उन्होंने कहा कि समुद्र का लेवल अगर बढ़ता जाएगा तो 2050 तक 40 मिलियन लोग़ रिस्क पर रहेंगे।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। मंगलायतन विश्वविद्यालय में "पर्यावरण विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रबंध" विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ।
दुनिया को एक अधिक टिकाऊ खाद्य प्रणाली की जरूरत
द्वितीय दिवस पर असिस्टेंट डायरेक्टर एसआईएडी केरला डॉ. एस नन्द कुमार ने भोजन और पर्यावरण के संबंध में बताया। उन्होंने कहा कि समुद्र का लेवल अगर बढ़ता जाएगा तो 2050 तक 40 मिलियन लोग़ रिस्क पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि तापमान के बढ़ने से भारत की कृषि उत्पादकता 2080 तक 30 से 40 परसेंट गिर जाएगी। दुनिया को एक अधिक टिकाऊ खाद्य प्रणाली की आवश्यकता है। जो वनों की कटाई और आवास के बिना कृषि वस्तुओं को खेत से प्लेट तक स्थिरता प्रदान करे।
विभिन्न प्रकार के एंटीनाओं पर किए गए अनुसंधान के बारे में बताया गया
वीआईटी भोपाल विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग स्कूल से डॉ. अपर्णा त्रिपाठी ने डेटा पर मशीनी भाषा के फ्रेम वर्क को परिभाषित किया। नेटफ्लिक्स का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यह एक ऑनलाइन वेब आधारित टीवी और मूवी प्लेटफार्म है। यह उपयोगकर्ताओं की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करता है कि कोई क्या देखना चाहता है। वरिष्ठ संयुक्त निदेशक, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी स्कूल जयपुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय जयपुर प्रो. सुधीर शर्मा ने विभिन्न प्रकार के एंटीनाओं पर किए गए अनुसन्धान के बारे में बताया। वही नयन जैन, डॉ विश्वजीत, डॉ,शमीम आजाज, डॉ राजहंस वर्मा, पंकज माहौर, रंभा कुमारी,डॉ मोनिका सिंह,आशा डागर, निदा रहमान ने प्रस्तुति दी।
प्रतियोगिता में विजयी छात्रों को दिया गया प्रशस्ति पत्र
मौखिक व पोस्टर प्रस्तुतीकरण प्रतियोगिता में विजयी छात्रों को प्रशस्ति पत्र दिया गया। कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ सैयद दानिश यासीन नकवी ने किया। इस दौरान आभार व्यक्त संयोजक डॉ हरित प्रियदर्शी ने किया। सह संयोजन डॉ जावेद वसीम का रहा। आयोजन में प्रो. उल्लास गुरूदास, प्रो. महेश कुमार, डॉ राजेश उपाध्याय, मोहन माहेश्वरी, आशीष जैन, डॉ.ओकैल अहमद, धीरेश उपाध्याय आदि का विशेष रूप से सहयोग रहा।