जलीय जीवों की उपस्‍थिति से गंगा में फिर से लौटने लगी सांस, जानिए पूरा मामला Aligarh news

नमामि गंगे जैसी योजना के चलते सालों से कूड़ा-कचरा ढोती रही गंगा नदी में फिर से सांस लौटने लगी है। वन विभाग व वर्ल्ड वाइड फंड फार नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) गंगा और उसकी सहायक नदियों में जलीय जीवों के संरक्षण में जुटा हुआ है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 05:56 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 07:44 AM (IST)
जलीय जीवों की उपस्‍थिति से गंगा में फिर से लौटने लगी सांस, जानिए पूरा मामला Aligarh news
गंगा में राष्ट्रीय जलीय जीव डाल्फिन के होने की भी पूरी संभावना है।

विनोद भारती, अलीगढ़। नमामि गंगे जैसी योजना के चलते सालों से कूड़ा-कचरा ढोती रही गंगा नदी में फिर से सांस लौटने लगी है। वन विभाग व वर्ल्ड वाइड फंड फार नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) गंगा और उसकी सहायक नदियों में जलीय जीवों के संरक्षण में जुटा हुआ है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम ने जनपद से गुजर रही गंग नहर व सांकरा के पास गंगा नदी का सर्वे किया तो यहां काफी मगरमच्छ व कछुए दिखाई दिए, जो जलीय जीवन का प्रतीक हैं। इससे विशेषज्ञों को गंगा में राष्ट्रीय जलीय जीव डाल्फिन के होने की भी पूरी संभावना है। ऐसे में वन विभाग इनके संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है।

बुलंदशहर में गंगा पर डाल्‍फिन का संरक्षण केंद्र बना

प्रभागीय निदेशक (वन एवं पर्यावरण) दिवाकर कुमार वशिष्ठ ने बताया कि समीपवर्ती जनपद बुलंदशहर व कासगंज में डाल्फिन व अन्य जलीय जीव की उपस्थिति है। बुलंदशहर में गंगा पर डाल्फिन का संरक्षण केंद्र भी बनाया गया है। ऐसे में अलीगढ़ से गुजर गंगा में भी डाल्फिन व अन्य जलीय जीवों के होने की पूरी संभावना है। पिछले दिनों वन विभाग व आगरा से डब्ल्यू़डब्ल्यूएफ के एक विशेषज्ञ ने गंगा और गंग नगर में मगरमच्छ व कछुओं की उपस्थिति जानने के लिए सर्वे किया। गंग नहर व सांकरा के पास गंगा में कई जगह मगरमच्छ दिखाई दिए। कछुए भी काफी संख्या में हैं। लिहाजा, विलुप्त प्राय इन जलीय जीवों को बचाने के लिए इनका संरक्षण बहुत जरूरी है। गंगा को भी स्वच्छ रखना होगा। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है।

सबसे पहले जिला गंगा समिति का गठन

प्रभागीय निदेशक ने बताया कि अलीगढ़ में अभी तक जिला गंगा समिति का गठन नहीं हुआ है। वन विभाग ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। समिति का कार्य सबसे पहले यह देखना होगा कि कोई गंगा में कूड़ा-कचरा न डाले। आसपास के गांवों का गंदा पानी या अपशिष्ट गंगा में न बहाए जाएं। जरूरत होने पर सीवेज शोधन संयत्र भी बनाया जाए। गंगा के संरक्षण के लिए सभी विभागों को इसमें शामिल किया जाएगा। मुख्य स्थल के ढाई से 10 किलोमीटर की दूरी तक पौधारोपण होगा। गंगा के आसपास के सभी जलाश्यों को अतिक्रमण व शिल्ट हटाकर पुनर्जीवित किया जाएगा। अलीगढ़ में गंगा समेत सात नदियां हैं।

संख्या बढ़ाने पर होगा जोर

वन विभाग की योजना के अनुसार जिला गंगा समिति का गठन होने के बाद जलीय जीवों के संरक्षण कार्य के लिए बजट प्राप्त हो सकेगा। पहली प्राथमिकता डाल्फिन खोजने व उसकी गणना करने की है। सांकरा के पास कछुए व डाल्फिन के हैचिंग प्वाइंट (प्रजनन स्थल व अंडे रखने का स्थान) भी बनाए जाएंगे। विभाग की कोशिश इन जलीय जीवनों का कुनबा बढ़ाने की होगी। जलीय जीवों का शिकार न हो, इसके लिए ग्रामीणों को प्रहरी बनाया जाएगा। प्रोजेक्ट पूरा हुआ तो यहां पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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