महिलाओं के जीवन में सबसे भयावह होता है प्रसव का पल, जानिए मामला Aligarh news

जन्म के बाद अपने नवजात बच्चे को बाहों में लेते हुए मां की खुशी का ठिकाना नहीं होता। यह खुशी पाने का अधिकर तो हर मां को है। लेकिन कई माताअों के जीवन में यह पल कभी नहीं आता। बल्कि उसके जीवन प्रसव का क्षण बेहद भयावह होता है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 05:38 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 07:16 AM (IST)
महिलाओं के जीवन में सबसे भयावह होता है प्रसव का पल, जानिए मामला Aligarh news
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 10 फीसद गर्भवती महिलाओं को प्रसव में जोखिम होता है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता ।  जन्म के बाद अपने नवजात बच्चे को बाहों में लेते हुए मां की खुशी का ठिकाना नहीं होता। यह खुशी पाने का अधिकर तो हर मां को है। लेकिन, कई माताओं के जीवन में यह पल कभी नहीं आता। बल्कि, उसके जीवन प्रसव का क्षण बेहद भयावह होता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 10 फीसद गर्भवती महिलाओं को प्रसव में जोखिम होता है, वहीं डेढ़ से दो फीसद गर्भवतियां उच्च जोखिम में होती। कई बार जच्चा-बच्चा की मृत्यु तक हो जाती है। ऐसी गर्भवतियों को चिह्नित कर उपचार पर लेने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जा रहा है।

शिविर लगाकर की गयी गर्भवतियों की जांच

जिले में पिछले दिनों इस अभियान के अंतर्गत स्वास्थ इकाइयों पर शिविर लगाकर 1115 गर्भवतियों की प्रसव पूर्व जांच की गई। चिंता की बात ये है कि 104 जोखिम वाली गर्भवती महिलाएं पाई गईं। जो खून या अन्य पोषक तत्वों की कमी, हाइपरटेंशन, शुगर, एचआइवी, गर्भ में जुड़वा बच्चे होना, पिछला प्रसव सिजेरियन होना या गर्भपात होना, कम या ज्यादा उम्र में गर्भधारण होने आदि समस्याओं से ग्रसित थी। इनमें 17 उच्च जोखिम की स्थिति में थीं। यानि, प्रसव के दौरान जच्चा या बच्चा, या दोनों को ही जान का खतरा था। सभी को उपचार पर लिया गया।

ये हैं उच्च जोखिम के कारण

मोहनलाल गौतम महिला अस्पताल की सीएमएस डा. रेनू शर्मा ने बताया कि सभी महिलाओं को गर्भावस्था में प्रसव पूर्व देखभाल, प्रसव के दौरान कुशल देखभाल और प्रसव के बाद के कई सप्ताह तक देखभाल और सहायता तक पहुंच की आवश्यकता होती है। सभी प्रसवों में कुशल स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा सहायता मिलनी चाहिए, क्योंकि समय पर प्रबंधन और उपचार मिलना मां और बच्चे के लिए जरूरी है। लेकिन, जागरूकता के अभाव में तमाम गर्भवती, प्रसव पूर्व की जांच तक नहीं कराती हैं। ऐसे में पता ही नहीं चल पाता कि उन्हें क्या परेशानी है। उच्च जोखिम के कई कारण हो सकते हैं, जैसे

ऐसे कम होगा जोखिम

अभिश्री हास्पिटल की स्त्री एंव प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. आभा श्रीवास्तव ने बताया कि गर्भवती को अपनी सेहत का ध्यान रखना जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसलिए खानपान पर का विशेष ध्यान दें। व्यायाम करें। समय-समय पर अपनी जांच कराती रहे। ताकि, जोखिम का समय रहते पता चल सके। अस्पताल में ही प्रसव कराएं।

इनका कहना है

वर्तमान में अधिक से अधिक गर्भवती की जांच कर उच्च खतरे वाली गर्भावस्था की पहचान की जरूरत है। इससे भविष्य में उन्हें किसी अनहोनी से बचाया जा सके। लोगों को जागरूक होना होगा। प्रसव पूर्व की सभी जांच समय पर कराएं। तभी जच्चा-बच्चा स्वस्थ होगा।

- डा. आनंद उपाध्याय, सीएमओ

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