जिद है जिले को शत प्रतिशत कैशलेस करने की, जानिए पूरा मामला Aligarh news
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के मंत्र को सार्थक करने का प्रयास यहां कृषि महकमा कर रहा है। उर्वरक के कारोबार को शत-प्रतिशत कैशलेस करने पर जोर है। छह माह पूर्व ही इसकी कवायद शुरू हुई थी।
अलीगढ़, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के मंत्र को सार्थक करने का प्रयास यहां कृषि महकमा कर रहा है। उर्वरक के कारोबार को शत-प्रतिशत कैशलेस करने पर जोर है। छह माह पूर्व ही इसकी कवायद शुरू हुई थी। शुरुआती प्रयासों में ही अलीगढ़ प्रदेश के टापटेन जिलाें की सूची में शामिल हो गया था। तब 44.50 फीसद फर्मों ने उर्वरक की आनलाइन खरीद-बिक्री कर जिले काे सातवें पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया था। लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर जैसे बड़े जिले भी पिछड़ गए। तब प्रदेश की राजधानी लखनऊ 19वें नंबर पर था। कानपुर 67वें स्थान और इलाहाबाद 34वें नंबर पर था। अफसरों ने और जोर दिया तो अलीगढ़ तीसरे पायदान पर पहुंच गया। अब जिले को पहले स्थान पर लाने के लिए जद्दोजहद की जा रही है।
15 हजार व्यापारी कर रहे कैशलेस व्यापार
प्रदेश के 75 जिलों में 60,690 लाइसेंस धारक हैं, लेकिन इनमें 55,130 व्यापारियों की फर्में ही संचालित हैं। करीब 15 हजार व्यापारी कैशलेस व्यापार कर रहे हैं। अलीगढ़ के ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 1038 फर्मों में 1013 फर्में कैशलेस व्यापार कर रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि सरकार उर्वरक के कैशलेस व्यापार पर ज्यादा जोर दे रही है। इसकी बड़ी वजह भी है। आनलाइन प्रणाली से जहां बचत होगी, वहीं खाद की कालाबाजारी पर भी अंकुश लग सकेगा। किसानों निर्धारित मूल्य पर खाद मिलेगा, व्यापारियों की निगरानी रखना भी आसान हो जाएगा। नंबर एक पर आने के लिए कृषि विभाग ने फर्मों पर क्यूआर कोड अनिवार्य कर दिया है। इसके बिना व्यापार करने वालों को उर्वरक की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी। पीओएस (प्वाइंट आफ सेल) मशीन से ही बिक्री होगी, इससे किसानों को पक्की रसीद मिलेगी और तय कीमत पर उर्वरक मिलेगा।