झोंपड़ी है आशियाना, रिकार्ड में पक्का मकान

बरला के गांव भवीगढ़ के एक दिव्यांग के साथ तहसील प्रशासन ने ही ऐसा खेल कर दिया कि पत्नी-बेटी के साथ झोपड़ीनुमा कच्चे मकान में रहने वाले को पहले से ही पक्के मकान का मालिक दिखा दिया। सीएम पोर्टल पर हुई शिकायत के बाद इसका पर्दाफाश हुआ है। बरला के गांव भवीगढ़ के एक दिव्यांग के साथ तहसील प्रशासन ने ही ऐसा खेल कर दिया कि पत्नी-बेटी के साथ झोपड़ीनुमा कच्चे मकान में रहने वाले को पहले से ही पक्के मकान का मालिक दिखा दिया। सीएम पोर्टल पर हुई शिकायत के बाद इसका पर्दाफाश हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 12:29 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 12:29 AM (IST)
झोंपड़ी है आशियाना, रिकार्ड में पक्का मकान
झोंपड़ी है आशियाना, रिकार्ड में पक्का मकान

अलीगढ़ : मोदी सरकार गरीबों के हित में लगातार काम कर रही है। प्रधानमंत्री की प्राथमिकता है कि कोई गरीब भूखा ना सोये और रहने के लिए पक्की छत हो। मगर बरला के गांव भवीगढ़ के एक दिव्यांग के साथ तहसील प्रशासन ने ही ऐसा खेल कर दिया कि पत्नी-बेटी के साथ झोपड़ीनुमा कच्चे मकान में रहने वाले को पहले से ही पक्के मकान का मालिक दिखा दिया। सीएम पोर्टल पर हुई शिकायत के बाद इसका पर्दाफाश हुआ है।

मामला थाना बरला के गांव भवीगढ़ का है। यहां के 28 वर्षीय मोनू शर्मा ढाई साल की उम्र में पोलियो की चपेट में आ गए थे। एक दशक पहले माता-पिता चल बसे। बड़े भाई का भी साथ नहीं मिल पाया, लेकिन मोनू ने हिम्मत नहीं हारी। मेहनत-मजदूरी कर जैसे-तैसे घर का खर्च चला लेते हैं। फिलहाल नरौना बरला रोड पर स्थित एक स्कूल में महज तीन हजार रुपये महीने की चपरासी की नौकरी कर रहे हैं। गांव में जिस मकान में रहते हैं, वह कच्चा है। बारिश की वजह से उसकी छतों से पानी टपकता है।

ऐसे हुआ खेल

मोनू के साथ कुदरत की मार तो है ही, वहीं सरकारी तंत्र भी इससे पीछे नहीं रहा। पिछले दिनों इन्हें पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पीएम आवास योजना की जानकारी पर अपना आवास मिलने की उम्मीद जगी। पहले ब्लाक स्तर पर आवेदन किया। वहां सुनवाई न हुई तो सीएम पोर्टल पर गुहार लगाई। अब जब रिपोर्ट आई तो उसे देखकर वह चौक गए। रिपोर्ट में इन्हें दो पक्के कमरे का मालिक बताते हुए पीएम आवास योजना से अपात्र घोषित कर दिया। मोनू ने इस बाबत शिकायत सीएम पोर्टल पर भी की। मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

सचिव ने गांव में मौके पर जाए बिना ही शिकायत का फर्जी निस्तारण कर दिया। इसके बाद बीडीओ ने भी आंख मूंदकर इस आख्या पर मुहर लगा दी। इसी लापरवाही से गरीब दिव्यांग आवास की पात्रता श्रेणी से बाहर हो गया।

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