नोइयत बदलकर तालाब में बना डाला मकान

योगी सरकार व सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि तालाबों व पोखरों का स्वरूप नहीं बदला जाएगा लेकिन खैर तहसील में इन आदेशों को ताक पर रखकर तालाब की नोइयत ही बदल डाली।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 01:32 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 01:32 AM (IST)
नोइयत बदलकर तालाब में बना डाला मकान
नोइयत बदलकर तालाब में बना डाला मकान

अलीगढ़ : योगी सरकार व सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि तालाबों व पोखरों का स्वरूप नहीं बदला जाएगा, लेकिन खैर तहसील में इन आदेशों को ताक पर रखकर तालाब की नोइयत ही बदल डाली। वैसे तो तालाबों को संवारने का काम ग्राम पंचायत व नगरपालिका का है। प्राथमिकता पर इन्हें संरक्षा देने का सरकारी प्राविधान भी आज तक जीवित है, लेकिन ज्यादातर तालाबों में देखरेख न हो पाने से गांव व कस्बा के तालाब अपने वजूद को तलाश रहे हैं। गांवों में जहां तालाबी नंबरों पर नामदार दर्ज कराकर रकबा बदलने के मामले आम हैं तो ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों में तो भूमाफिया ने तालाबी नंबरों की नोइयत बदलकर तालाब को ही भूमिधरी बना डाला है। नतीजा यह है कि गांव के तालाब खेत व कस्बा के तालाब प्लाटिग में खत्म हो गए हैं। यहां के दलवीर सिंह पुत्र भरत सिंह ने डीएम को भेजी शिकायत में कहा कि वर्षो पूर्व खैर तहसीलदार ने भूमाफिया से सांठ गांठ कर अलीगढ़ टप्पल मेन रोड के किनारे गाटा संख्या 322 में तालाब दर्ज था, जिसे स्थानीय प्रशासन ने गाटा संख्या 313 में दर्ज कर दिया है। ग्रामीण का आरोप है हल्का लेखपाल, कानूनगो, पूर्व तहसीलदार से सांठ गांठ कर गांव के ही दबंग लोगों ने तालाब भूमि पर निर्माण कार्य कर रखा है। दलवीर सिंह ने कहा कि गांव का पानी उल्टा बहेगा या अन्य स्थान पर जमा होगा तो रिहायसी मकान गिरने की नौबत आने लगेगी। गांव के नाली का पानी निकासी की बहुत बड़ी समस्या है। बरसात का पानी व नहर आने पर जल भराव हो जाता है। ग्रामीण की शिकायत पर डीएम ने एसडीएम खैर को जांच के लिए भेजा है। एसडीएम अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि तालाब का पूरा प्रकरण संज्ञान में है। कोर्ट में विचाराधीन है। जांच की जा रही है। जल्द ही निस्तारण किया जाएगा।

chat bot
आपका साथी