Tradition : बस गई नगरी बस गए मोर, हरी चिरैया ले गए चोर... जानिए मामला Hathras News

बस गई नगरी बस गए मोर हरी चिरैया ले गए चोर इस तरह गीत बच्चों के मुख से बड़े प्यारे लग रहे हैं। शहर से लेकर देहात तक बच्चों द्वारा हाथों में टेसू लेकर मांगने की परंपरा निभाई जा रही है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 02:08 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 02:15 PM (IST)
Tradition : बस गई नगरी बस गए मोर, हरी चिरैया ले गए चोर... जानिए मामला Hathras News
हाथरस में आगरा रोड पर सड़क किनारे रखे टेसू की खरीदारी करते ग्राहक।

हाथरस, जागरण संवाददाता। बस गई नगरी बस गए मोर, हरी चिरैया ले गए चोर, इस तरह गीत बच्चों के मुख से बड़े प्यारे लग रहे हैं। शहर से लेकर देहात तक बच्चों द्वारा हाथों में टेसू लेकर मांगने की परंपरा निभाई जा रही है। बाजारों में दुकानों पर टेसू की खरीदारी बढ़ गई है।

जगह-जगह किया गया रावण दहन

रावण दहन के साथ टेसू व झांझी लेकर मांगना शुरू हो जाता है। शुक्रवार की शाम धूमधाम के साथ जगह-जगह रावण दहन किया गया। उसके बाद बच्चों ने शाम से ही टेसू लेकर मांगना शुरू कर दिया। इनमें लड़के टेसू और लड़कियां झांझी सजाती हैं। तीन टांग के टेसू पर मोमबत्ती या दीपक जलाकर रखा जाता है। वहीं झांझी यह दीपक गोल मटकी के आकर की बनी झांझी के अंदर रखा जाता है। बच्चे एक हाथ टेसू या झांझी और दूसरे हाथ में मांगने का पात्र होता है। इसमें आटा, खाने की सामग्री व पैसे लोगों द्वारा बच्चों को देने की परंपरा रही है।

मेरा टेसू रंग-बिरंगा, इसने भांग खाई है...

टेसू व झांझी लेकर घरों से निकले बच्चों को परंपरागत गीत भी गाने पड़ते हैं। घर या प्रतिष्ठान के दरबाजों पर इन दिनों बच्चों के मुंह सुरीली आवाज में निकल रहे गीत सभी का मन मोह लेते हैं। उनमें कुछ इस तरह हैं- बस गई नगरी बस गए मोर, हरी चिरैया ले गए चोर। टेसू रे टेसू रे घंटा बजइयो, नौ नगरी में गाम बसइयो। मां कहे मेरा उत्तर-पुत्तर, बहन कहे मेरा भाई है, आज भी काफी लोकप्रिय हैं।

20 से 50 रुपये में मिल रहे टेसू व झांझी

बाजार में टेसू की कीमत 20 रूपये से 50 रुपये तक है। इनको शहर के कमला बाजार, घंटाघर, मुरसान गेट, नयागंज, सादाबाद गेट, आगरा रोड, अलीगढ़ रोड सहित अन्य बाजारों फड़ लगाकर व दुकानों पर रखकर बिक्री किया जा रहा है। इनको बनाने का कार्य पितृ पक्ष से ही शुरू हो जाता है। दशहरा के बाद इनकी बिक्री बढ़ जाती है।

वब्रूवाहन का प्रतीक है टेसू

महाभारत के युद्ध में अर्जुन को कर्ण के अमोघ अस्त्र से बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने हिडंबा राक्षसी व भीम के पुत्र वब्रूवाहन को बुलाया। उस पर अमोघ अस्त्र चला। वह पहले ही श्रीकृष्ण से महाभारत का युद्ध देखने का वरदान पा चुका था। उसी वरदान को पूरा करने के लिए कृष्ण ने एक तीर पर सिर, दूसरे पर पानी व तीसरे पर चिड़िया रखी जो उसे युद्ध का हाल बताती रही। टेसू इसी का प्रतीक है।

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